नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक दुर्लभ कदम उठाते हुए अदालतों को उन लोगों को जेल से रिहा करने से रोक दिया जिन पर शीर्ष अदालत की 72 वर्षीय महिला वकील से ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के जरिए 3.29 करोड़ रुपये की ठगी करने का आरोप है। इसने कहा कि इस मामले में ‘‘असाधारण आदेश’’ की जरूरत है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा, ‘‘हमें इन मामलों से सख्ती से निपटना होगा ताकि सही संदेश जाए। एक असाधारण घटना के लिए असाधारण हस्तक्षेप की आवश्यकता है।’’
पीठ ने ‘सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन’ (एससीएओआरए) द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदन को रिकॉर्ड में लिया, जिसमें महिला वकील के मामले को आगे बढ़ाया गया और अपराध के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आग्रह किया गया।
एससीएओआरए के अध्यक्ष विपिन नायर ने कहा कि बुजुर्ग महिला वकील की सारी जमा पूंजी चली गई और इस वर्ष मई में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद गिरफ्तार किए गए आरोपी वैधानिक जमानत पर रिहा होने वाले हैं।
पीठ ने अभ्यावेदनों पर संज्ञान लेते हुए तुरंत आदेश दिया, ‘‘इस बीच, संदिग्ध विजय खन्ना और अन्य सह-आरोपियों को किसी भी अदालत द्वारा रिहा नहीं किया जाएगा। वे किसी भी राहत के लिए इस अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।’’
न्यायमूर्ति कांत ने नायर से कहा, ‘‘हम किसी के जीवन और स्वतंत्रता के विरुद्ध नहीं हैं, लेकिन इस मामले में असाधारण आदेश की जरूरत है। हमें इन मामलों से सख्ती से निपटना होगा ताकि सही संदेश जाए। असाधारण घटना के लिए असाधारण हस्तक्षेप की आवश्यकता है।’’
नायर ने कहा कि पुलिस आरोपियों से 42 लाख रुपये से अधिक की राशि बरामद करने में सफल रही, लेकिन यह मामला ऐसे अपराधों से संबंधित प्रक्रियागत शून्यता और जांच संबंधी लचरता को दर्शाता है, क्योंकि मजिस्ट्रेट द्वारा पीड़ित के बैंक खाते में धनराशि जमा करने का निर्देश दिए जाने के बावजूद बैंक धनराशि स्वीकार करने से इनकार कर रहा है।
पीठ ने कहा कि जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे, जो कई एजेंसियों के लिए आंखें खोलने वाले होंगे। इसने नायर से कहा, ‘‘बस अगली सुनवाई की तारीख का इंतजार कीजिए।’’
पीठ ने सॉलिसिटर जनरल मेहता से इस मुद्दे पर गौर करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।
भाषा नेत्रपाल नरेश
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