नयी दिल्ली, 14 फरवरी (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 2015 के एक हत्या मामले में दोषी पाए गए तीन व्यक्तियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए कहा कि इस मामले में उन्हें मृत्युदंड देना उपयुक्त नहीं है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विक्रम ने मोहम्मद आदिल खान, अमित कुमार और शहजाद को हत्या, डकैती और आपराधिक धमकी के आरोपों में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है।
हत्या के इस मामले में दो आरोपी अभी तक लापता हैं और उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया है।
अतिरिक्त लोक अभियोजक विनीत दहिया ने कहा कि आरोपियों ने डकैती की योजना बनाई थी, जिसके बाद उन्होंने 9 जनवरी, 2015 को पीतमपुरा में पीड़ित को उसके कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी थी।
दहिया ने दोषी लोगों को अधिकतम सजा देने का अनुरोध करते हुए कहा कि एक युवक की जिंदगी छीन ली गई और इस अपराध से समाज को ‘झटका’ लगा है।
अदालत ने सात फरवरी को अपने आदेश में कहा कि कानून का यह ‘‘स्थापित सिद्धांत’’ है कि मृत्युदंड केवल दुर्लभ मामलों में ही दिया जा सकता है।
इसमें कहा गया, ‘‘इस मामले के तथ्य उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित दुर्लभतम मामलों की कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं।’’
मौर्या एन्क्लेव थाने में इन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
भाषा प्रीति अविनाश
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