नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) समेत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवानों का “व्यापक दुरुपयोग” किए जाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में कहा गया है कि इन जवानों से उच्च पदस्थ पुलिस और सीएपीएफ अधिकारियों के निजी आवासों में घरेलू सहायकों की तरह काम कराया जा रहा है।
बीएसएफ के डीआईजी संजय यादव द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया, “हमारे देश के सैनिकों को विशेष रूप से उच्च पदस्थ अधिकारी के कुत्ते की देखभाल के लिए तैनात किया जाता है।”
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने जनहित याचिका पर गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया, जिसमें दावा किया गया था कि “यह वस्तुतः एक प्रचलित प्रथा है, जिसमें बीएसएफ के विभिन्न कार्मिकों को सीमा पर या कानून-व्यवस्था संबंधी कर्तव्यों के निर्वहन से हटाकर उच्च पदस्थ अधिकारियों के निजी घरों में घरेलू कार्यों के निष्पादन के लिये तैनात कर दिया जाता है।”
याचिका में दावा किया गया कि “मानवशक्ति का घोर दुरुपयोग” हुआ है, विशेषकर ऐसे समय में जब “केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में 83,000 से अधिक रिक्तियां” हैं।
जनहित याचिका में कहा गया है कि इस स्थिति से कानून-व्यवस्था के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा को भी गंभीर खतरा पैदा हो रहा है और इससे सरकारी खजाने पर अनुचित दबाव पड़ रहा है।
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प्रशांत माधव
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