नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने वाणिज्यिक रूप से एवं यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं व बच्चों के पुनर्वास के पूर्व और बाद के बचाव के चरणों के लिए ‘पीड़ित संरक्षण प्रोटोकॉल’ को समाहित करते हुए एक व्यापक तस्करी रोधी कानून बनाने का अनुरोध करने वाली अर्जी पर केंद्र से जवाब मांगा है।
प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने अधिवक्ता अपर्णा भट की दलीलों का संज्ञान लिया, जो गैर सरकारी संगठन ‘प्रजावाला’ की ओर से न्यायालय में पेश हुई थीं।
भट ने दलील दी कि शीर्ष न्यायालय ने महिलाओं व बच्चों की तस्करी के अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए नौ दिसंबर 2015 को केंद्र को संगठित अपराध जांच एजेंसी (ओसीआईए) गठित करने को कहा था।
शीर्ष न्यायालय ने आदेश में कहा कि इस संबंध में केंद्र को नोटिस जारी किया जाए। अर्जी का जवाब 31 अक्टूबर तक दाखिल किया जाए।
भाषा सुभाष दिलीप
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