नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र और नौसेना को उन कतिपय अधिकारियों (पुरुष और महिला दोनों) को सेवामुक्त करने से रोक दिया, जिन्हें स्थायी कमीशन नहीं दिया गया है। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही केंद्र से मुद्दे पर जवाब भी मांगा।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन और वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमण्यम को संबंधित नौसेना अधिकारियों की शिकायतों पर फिर से विचार करने का निर्देश दिया जिनमें से कुछ को सेवामुक्त कर दिया गया है।
पीठ ने निर्देश दिया, ‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि कुछ अधिकारी दो फरवरी को सेवामुक्त होने वाले हैं, हम निर्देश देते हैं कि जो अधिकारी पहले से ही सेवा में हैं उन्हें इस अदालत के अगले आदेश तक सेवामुक्त नहीं किया जाएगा।’
सुनवाई के दौरान, पीठ ने कहा, “उनमें से कुछ (नौसेना अधिकारी) पेंशन योग्य सेवाओं से एक या दो साल कम हैं। जिन्हें सेवामुक्त किया गया है, उन्हें पेंशन देने पर विचार किया जा सकता है।’’
पीठ ने केंद्र और नौसेना को नोटिस जारी किया तथा अल्पकालिक सेवा कमीशन नौसैनिक अधिकारियों की याचिकाओं पर चार सप्ताह में जवाब मांगा, जिनके नाम पर स्थायी कमीशन के लिए विचार नहीं किया गया है।
जैन ने नोटिस स्वीकार किया और कहा कि वह प्रत्येक मामले पर फिर से विचार करेंगे और एक विस्तृत जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे।
नौसेना के अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह, हुजेफा अहमदी और मीनाक्षी अरोड़ा आदि की दलील थी कि नौसेना प्राधिकारियों ने रिक्त स्थानों की जो गणना की है वह कमांडर एन्नी नागराज मामले में शीर्ष अदालत के 2020 के फैसले में दिये गए निर्देशों के अनुरूप नहीं है।
भाषा नेत्रपाल अनूप
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