नयी दिल्ली, छह जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बिहार के एक बैंक के अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में कार्यवाही फिर से शुरू कर दी है। अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने ग्राहकों द्वारा ऋण के लिए गिरवी रखे गए सोने के आभूषणों को वापस नहीं किया।
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ शिकायतकर्ता द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें नवंबर 2024 में पारित पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने बैंक अधिकारियों द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए सितंबर 2023 में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी।
शीर्ष अदालत ने कहा, “यह सच है कि अपीलकर्ता (शिकायतकर्ता) ने राशि वापस कर दी, लेकिन काफी देरी से। हालांकि, एक बार ऋण का निपटान हो जाने के बाद, यह समझना मुश्किल है कि सोने का पुनर्मूल्यांकन और नीलामी क्यों की गई।”
पीठ ने उच्च न्यायालय के निष्कर्षों पर गौर किया, जो गुण-दोष पर आधारित थे, जिसमें कहा गया था कि शिकायतकर्ता ने बैंक से ऋण प्राप्त करने की पूरी प्रक्रिया गलत इरादे से की थी।
पीठ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, “हम यह समझने में असमर्थ हैं कि इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा गया, क्योंकि स्थापित स्थिति यह है कि इरादे का निर्धारण करने के लिए साक्ष्य को ध्यान में रखना होगा।”
भाषा
प्रशांत पवनेश
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