मुंबई, सात मई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ के पास यात्री जेटी और टर्मिनल सुविधाओं के निर्माण कार्य पर रोक लगाने से बुधवार को इनकार कर दिया और कहा कि यह परियोजना जनहित में है।
हालांकि, मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ ने कहा कि निर्माण कार्य स्थानीय निवासियों के संघ द्वारा परियोजना के खिलाफ दायर याचिका के अंतिम नतीजे के अधीन होगा।
अदालत ने कहा कि वह 20 जून को मामले की सुनवाई करेगी।
सरकार ने पिछले सप्ताह अदालत को आश्वासन दिया था कि यात्री जेटी परियोजना के तहत ढहाए जाने के लिए चिह्नित गेटवे ऑफ इंडिया के पास की दीवार को सुनवाई की अगली तारीख तक नहीं तोड़ा जाएगा।
सोमवार को दायर एक अर्जी में क्लीन एंड हेरिटेज कोलाबा रेजिडेंट्स एसोसिएशन (सीएचसीआरए) ने आरोप लगाया था कि अधिकारियों ने साइट पर पाइलिंग का काम शुरू करके पहले के आश्वासन का उल्लंघन किया है।
महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने बुधवार को अदालत को बताया कि आश्वासन के अनुसार दीवार को नहीं तोड़ा जाएगा।
सीएचसीआरए की ओर से पेश वकील, ए. चिनॉय ने कहा कि पाइलिंग का काम एक बार होने के बाद, इसे हटाना ‘लगभग असंभव’ होगा, जिससे परियोजना प्रभावी रूप से एक निष्पन्न कार्य हो जाएगी।
सराफ ने यह भी बताया कि परियोजना की निविदा की प्रक्रिया जुलाई 2024 में शुरू हुई थी, जब बोलियां आमंत्रित करने के लिए एक नोटिस जारी किया गया था।
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को हमेशा से पता था कि परियोजना में पाइलिंग का काम शामिल है।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि वह इस स्तर पर निर्माण कार्य पर कोई रोक लगाने को इच्छुक नहीं है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इस बिंदु पर, हम काम पर रोक लगाने के लिए इच्छुक नहीं हैं। यह एक सार्वजनिक परियोजना है।’’
भाषा सुरेश माधव
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