मुंबई, 11 मई (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय ने छह कनिष्ठ महिला चिकित्सकों से छेड़छाड़ के आरोपी केईएम अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि अदालत को पीड़िताओं को पहुंचे ‘‘भावनात्मक और मानसिक आघात’’ पर विचार करने की जरूरत है।
उच्च न्यायालय ने आठ मई को केईएम अस्पताल के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर रवींद्र देवकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
अस्पताल में सहायक प्रोफेसर के तौर पर काम कर रही पीड़िताओं ने आरोप लगाया है कि देवकर ने उन्हें गलत तरीके से छूआ और आपत्तिजनक टिप्पणियां कर प्रताड़ित किया।
न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ ने कहा कि देवकर अपने पद का फायदा उठाकर लंबे समय से अनुचित व्यवहार कर रहा था।
अदालत ने कहा कि पीड़िताएं सदमे में थीं और उन्हें डर था कि उनका करिअर बर्बाद हो जाएगा इसीलिए अब तक कोई भी वरिष्ठ चिकित्सक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने को तैयार नहीं थीं।
पीठ ने कहा कि अगर देवकर को अग्रिम जमानत दी जाती है तो इस बात की पूरी आशंका है कि वह सभी शिकायतकर्ता पीड़िताओं से बदला लेगा और इस बात का भी पूरा अंदेशा है कि वह फिर वही कृत्य दोहराएगा।
अदालत ने कहा, ‘‘अंतत: मेडिकल कोर्स कर रहीं पीड़िताओं को पहुंचे भावनात्मक और मानसिक आघात पर विचार करना होगा और अस्पताल जैसे कार्यस्थल में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और महिलाओं की गरिमा की नैतिक और कानूनी रूप से रक्षा के लिए अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज करने की जरूरत है।’’
देवकर के खिलाफ भोईवाडा पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है।
मामला दर्ज होने के बाद निलंबित किए गए देवकर ने अपनी याचिका में कहा कि उनके खिलाफ शिकायत व्यक्तिगत रंजिश और अस्पताल की अंदरूनी राजनीति के कारण की गई है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि देवकर कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम के तहत अस्पताल की आंतरिक समिति का सदस्य भी है।
इसमें कहा गया, ‘‘यह एक ऐसा मामला है जिसमें एक डॉक्टर के खिलाफ आरोप हैं जो कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम के तहत अस्पताल की समिति का सदस्य है और उस पर एक नहीं छह महिला चिकित्सकों के साथ अनुचित व्यवहार करने का आरोप है।’’
भाषा खारी देवेंद्र
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