नयी दिल्ली, 11 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में पीलीभीत टाइगर रिजर्व, दुधवा टाइगर रिजर्व, अमनगढ़ टाइगर रिजर्व और कतर्निया घाट वन्यजीव अभयारण्य में काम कर रहे 1,200 दिहाड़ी मजदूरों को वेतन जारी करने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
दरअसल, पिछले कई महीने से इन मजदूरों के वेतन का कथित तौर पर भुगतान नहीं किया गया है।
न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने पेशे से वकील गौरव कुमार की जनहित याचिका पर दलीलें सुनीं और कहा कि यह उपयुक्त होगा कि पीड़ित कर्मी संबद्ध अधिकारियों से संपर्क करें।
पीठ ने मजदूरों को संबद्ध अधिकारियों या अदालतों का रुख करने की छूट देते हुए याचिका खारिज कर दी।
निजी हैसियत से जनहित याचिका दायर करने वाले बंसल ने केंद्र, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को दिहाड़ी मजदूरों के अपने कार्यों के दौरान पेश आने वाली दिक्कतों को कम करने के उपाय सुझाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का अनुरोध किया था।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने 20 से अधिक इन दिहाड़ी मजदूरों से बातचीत की, जिस दौरान पता चला कि उनके परिवार बहुत ही दयनीय हालत में गुजारा कर रहे हैं, क्योंकि पिछले कई महीने से उन्हें (इन मजदूरों को) वेतन का भुगतान नहीं किया गया है और यहां तक कि एक मजदूर की पत्नी ने आत्महत्या भी कर ली।
भाषा
सुभाष दिलीप
दिलीप
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