नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने के आरोपी जबलपुर के एक व्यक्ति को हिरासत में लेने के आदेश रद्द कर दिये हैं।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार समय पर अभियुक्त के प्रतिनिधित्व की अस्वीकृति संप्रेषित नहीं कर पाईं, जो हिरासत आदेश का उल्लंघन है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि मुख्य आरोपी डॉक्टर सरबजीत सिंह मोखा की हिरासत का आदेश रद्द करने वाला उसका पिछला फैसला इस मामले में लागू होगा।
पीठ ने कहा, ”सुनवाई के दौरान दाखिल किये गए जवाबी हलफनामे में कोई खास पहलू सामने नहीं आया। वास्तव में, अपीलकर्ता अस्पताल के फार्मास्युटिकल विंग में काम करता था। इस अस्पताल का संचालन पिछले मामले में अपीलकर्ता द्वारा किया जा रहा था, जिसे अदालत जमानत दे चुकी है।”
अपीलकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने पिछले मामले से इस मामले की तुलना करते हुए अपने मुवक्किल को हिरासत में लेने के आदेश रद्द करने की अपील की।
पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा था कि हम 11 मई 2021 के हिरासत आदेश और हिरासत की अवधि बढ़ाने के 8 जुलाई, 2020 और 30 सितंबर, 2021 के आदेश को भी रद्द करते हैं।
शीर्ष अदालत ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देवेंद्र चौरसिया के साथ मिलकर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने के आरोपी जबलपुर के डॉक्टर मोखा को हिरासत में लेने का आदेश रद्द कर दिया था।
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