मुंबई, 24 जनवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने तेज रफ्तार और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण एक आवारा कुत्ते की मौत के मामले में 20-वर्षीय एक युवक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करते हुए कहा है कि आपराधिक कार्यवाही जारी रहने से उसका करियर और भविष्य की संभावनाएं खराब हो जाएंगी।
न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई और न्यायमूर्ति एन. आर. बोरकर की खंडपीठ ने 16 जनवरी के अपने आदेश में कहा कि युवक ने आवारा कुत्तों के कल्याण के लिए 5,000 रुपये का दान दिया है।
अदालत ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता 20 साल का एक युवा है। वह इंजीनियरिंग के तृतीय वर्ष का छात्र है और उसका शैक्षणिक रिकॉर्ड अच्छा है। आपराधिक कार्यवाही जारी रहने से उसका करियर और भविष्य खराब हो सकता है।’’
पुलिस के अनुसार, अक्टूबर 2023 में उस व्यक्ति ने उपनगरीय बोरीवली इलाके में तेज गति से और लापरवाही से अपनी कार चलाई, जिसके कारण एक अस्थायी शेड में यह दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दुर्घटना के कारण शेड में तैयार की जा रही मूर्तियों को नुकसान पहुंचा और एक आवारा कुत्ते की भी मौत हो गई।
व्यक्ति ने अपनी याचिका में प्राथमिकी रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि वह पहले ही शेड के मालिक को दो लाख रुपये का भुगतान कर चुका है। शेड के मालिक ने अदालत को बताया कि उसने विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है।
अदालत ने कहा कि न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिकी रद्द करने का यह उपयुक्त मामला है।
युवक पर भारतीय दंड संहिता के तहत लापरवाही से गाड़ी चलाने, व्यक्तिगत जीवन को खतरे में डालने वाले कृत्य और शरारत के लिए तथा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अंतर्गत मामला दर्ज किया था।
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