नयी दिल्ली, 29 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राज्यसभा के पूर्व सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा, जिसमें उन्होंने ‘रामसेतु’ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के उनके अभ्यावेदन पर ‘‘शीघ्रता से’’ निर्णय लेने का सरकार को निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है।
‘रामसेतु’ तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी अपतटीय क्षेत्र स्थित पम्बन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी अपतटीय क्षेत्र स्थित मन्नार द्वीप के बीच चूना पत्थर की एक लंबी श्रृंखला है।
न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने स्वामी की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की तथा केंद्र को नोटिस जारी किया।
इस याचिका पर सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
केंद्र ने 19 जनवरी 2023 को शीर्ष अदालत को बताया था कि वह ‘रामसेतु’ को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने से संबंधित मुद्दे पर विचार कर रहा है।
उस समय शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर स्वामी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
उच्चतम न्यायालय ने जनवरी 2023 के अपने आदेश में कहा था, ‘‘सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि यह प्रक्रिया वर्तमान में संस्कृति मंत्रालय में जारी है, लेकिन यदि याचिकाकर्ता चाहे तो वह दो सप्ताह की अवधि के भीतर अपनी इच्छानुसार कोई अतिरिक्त सामग्री या संचार भी प्रस्तुत कर सकता है।’’
न्यायालय ने केंद्र से इस मुद्दे पर निर्णय लेने को कहा था और स्वामी को असंतुष्ट होने पर दोबारा न्यायालय आने की स्वतंत्रता दी थी तथा इस मुद्दे पर उनकी अंतरिम याचिका का निपटारा कर दिया था।
स्वामी द्वारा दायर नयी याचिका में कहा गया है कि आज तक न तो उन्हें किसी प्रकार के निर्णय की जानकारी दी गई और न ही उच्चतम न्यायालय को।
याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार ‘रामसेतु’ को किसी भी प्रकार के दुरुपयोग, प्रदूषण या अपवित्रता से बचाने के लिए बाध्य है।
इसमें कहा गया, ‘‘यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह पुरातात्विक स्थल उन लोगों की आस्था और श्रद्धा का विषय है जो रामसेतु को तीर्थ मानते हैं….।’’
याचिका में कहा गया कि 19 जनवरी 2023 के आदेश के बाद स्वामी ने 27 जनवरी 2023 को सभी दस्तावेजों के साथ सरकार को एक अभ्यावेदन दिया था। इसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता ने 13 मई, 2025 को सरकार को फिर से एक नया अभ्यावेदन दिया था।
इसमें संस्कृति मंत्रालय को निर्देश देने का आग्रह किया गया है कि वह ‘‘इस न्यायालय के 19 जनवरी, 2023 के आदेश के अनुपालन में याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर शीघ्रता/समयबद्ध तरीके से निर्णय ले।’’
भाषा शोभना नेत्रपाल
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