नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने देश भर में लापता लोगों का पता लगाने और लावारिस शवों की पहचान करने के लिए डीएनए प्रोफाइल का डेटाबेस बनाने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र एवं अन्य से जवाब मांगा।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्ता के.सी जैन की याचिका पर केंद्र, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो और अन्य को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा।
याचिकाकर्ता ने खुद पेश होकर शीर्ष अदालत से कहा कि केंद्र ने 2018 में आश्वासन दिया था कि अज्ञात और लावारिस शवों या लापता व्यक्तियों के रिकॉर्ड के वास्ते डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए एक विधेयक संसद में लाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले साल जुलाई में डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक 2019 को लोकसभा से वापस ले लिया, जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति की पहचान के लिए डीएनए प्रौद्योगिकी के उपयोग को विनियमित करना था।
इसके बाद पीठ इस मामले में नोटिस जारी करने पर सहमत हो गई।
शीर्ष अदालत ने 2014 में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की याचिका पर गृह मंत्रालय, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
एनजीओ ने अपनी याचिका में कहा था कि पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल कर शवों की पहचान नहीं की जा सकती है और संभावित अपराध के गुनाहगारों का पता नहीं लगाया जा पाता है।
उसने यह भी कहा था कि पीड़ितों के परिवारों को कभी उनके बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है।
याचिका में कहा गया था कि लावरिस शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग से लापता व्यक्तियों का मिलान करने और उनका पता लगाने में मदद मिल सकती है।
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नोमान रंजन
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