नई दिल्ली: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बुधवार को बीजेपी नेता किरीट सोमैया को गिरफ्तारी से राहत दी है. अदालत उन्हें विमानवाहक पोत INS विक्रांत को बचाने के लिए एकत्र किए गए धन के कथित हेराफेरी के संबंध में जांच एजेंसी के सामने पेश होने के लिए बोला है. उन पर 57 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप है.
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बीजेपी नेता किरीट सोमैया को राहत दी है और उन्हें विमानवाहक पोत INS विक्रांत को बचाने के लिए एकत्र किए गए धन के कथित हेराफेरी के संबंध में जांच एजेंसी के सामने पेश होने के लिए बोला है।
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— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 13, 2022
कोर्ट ने कहा है सोमैया के खिलाफ मामला अस्पष्ट है और मीडिया रिपोर्ट पर आधारित है.
सोमैया पर आरोप है कि आईएस विक्रांत को बचाने के लिए जुटाए फंड का गलत इस्तेमाल किया था. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि उसने भी चंद दिया था. जुटाए गए 57 करोड़ धन में उन्होंने हेराफेरी की. उसका पूरा इस्तेमाल नहीं किया.
किरीट सोमैया उच्च न्यायालय पहुंचे थे
भाजपा नेता किरीट सोमैया ने सत्र अदालत में अपनी अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने पर मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय की शरण ली थी. 2014 में सेवा से बाहर हो चुके विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को तोड़े जाने से बचाने के लिए एकत्र 57 करोड़ रुपये से अधिक की राशि से जुड़े कथित वित्तीय अनियमितता के मामले में सोमैया पर मामला दर्ज कराया गया है.
सोमैया ने अपने अधिवक्ता निरंजन मुंदरगी के माध्यम से उच्च न्यायालय में दावा किया था कि सोमवार को जारी किये गये सत्र अदालत के आदेश में त्रुटि है.
अदालत में दायर अपनी याचिका में सोमैया ने कहा था कि शिकायत करने में विलंब किया गया और 9 साल बाद यह शिकायत की गई.
उन्होंने कहा था कि इस तरह का चंदा शिवसेना और कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों द्वारा भी एकत्र किया गया है. सोमैया ने कहा कि अभियान को उन्होंने निजी तौर पर नहीं चलाया था, बल्कि यह पार्टी के स्तर पर था.
अदालत ने यह भी कहा कि सोमैया ने कहा था कि वह महाराष्ट्र के राज्यपाल के पास एकत्र राशि जमा कराने जा रहे हैं, लेकिन राशि राज्यपाल के पास नहीं जमा कराई गई. ट्रांबे पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक सोमैया, उनके बेटे नील सोमैया और अन्य ने मुंबई में जगह-जगह दानपत्र लगाकर चंदा एकत्र किया था.
एक शिकायतकर्ता ने कहा कि वर्ष 2014 में उसे पता चला कि विक्रांत को तोड़ दिया गया और इस विमानवाहक पोत की 60 करोड़ रुपये में निलामी की गई. आईएनएस विक्रांत ने 1961 से लेकर 1997 तक देश की सेवा की.