नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने भगोड़े उद्यमी विजय माल्या को अवमानना के मामले में व्यक्तिगत रूप से या अपने अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित होने का बृहस्पतिवार को अंतिम अवसर दिया।
माल्या पर उनके किंगफिशर एयरलाइन से जुड़े 9,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण घोटाले का आरोप है और अवमानना के मामले में उसे दोषी करार दिया गया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने माल्या को व्यक्तिगत रूप से या अधिवक्ता के माध्यम से अपने समक्ष उपस्थित होने के कई अवसर दिए हैं और 30 नवंबर, 2021 के अपने अंतिम आदेश में विशेष निर्देश भी दिए थे।
न्यायमूर्ति यू. यू. ललित, न्यायमूर्ति एस. रविन्द्र भट और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने अवमानना मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित करते हुए कहा कि माल्या को 30 नवंबर, 2021 के आदेश में दिए गए निर्देशों के आधार पर काम करने की स्वतंत्रता है, ऐसा नहीं करने पर मामले को उसके ‘तर्कपूर्ण निष्कर्ष’ तक पहुंचाया जाएगा।
पीठ ने इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता से कहा कि उसने माल्या को अदालत की अवमानना का दोषी पाया है और अब सजा तय होनी है।
पीठ ने गुप्ता से पूछा, ‘‘सामान्य तर्क की बात करें तो माल्या का पक्ष सुना जाना था, लेकिन उस वक्त से अभी तक वह अदालत के समक्ष पेश नहीं हुआ है। अदालत को ऐसे में क्या कदम उठाना चाहिए।’’ वहीं मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि कुछ प्रक्रिया चल रही है लेकिन अदालत को उसकी जानकारी नहीं है।
गुप्ता ने कहा कि माल्या को व्यक्तिगत रूप से पेश होने की जरूरत नहीं है और वह अपने अधिवक्ता के माध्यम से भी अदालत में पेश हो सकते हैं। अदालत इसे अपने आदेश में और स्पष्ट कर सकती है।
न्यायमूर्ति भट ने कहा कि मामले के कई पहलू हैं और माल्या सुनवाई में अनुपस्थित रहे हैं।
न्यायमूर्ति भट ने कहा, ‘‘अगली सुनवाई में भी यही होगा। हमें अनुपस्थिति में सजा सुनानी पड़ेगी। ऐसी स्थिति में अन्य देशों में अदालत शक्तिहीन नहीं है। हम इस संबंध में मदद चाहते हैं।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हमें कहना होगा कि यह अभूतपूर्व परिस्थिति है जिसमें दोषी पाया गया व्यक्ति फरार है। हमें उचित सुरक्षा की आवश्यकता है।’’
गुप्ता ने कहा कि अदालत को स्पष्ट करना होगा कि अगर माल्या व्यक्तिगत रूप से या अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में उपस्थित नहीं होते हैं तो उसके क्या परिणाम होंगे।
भाषा अर्पणा नरेश
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