नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक बढ़ा दी जिसमें उसने पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता बी एस येदियुरप्पा और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ सरकारी ठेके देने के लिए “रिश्वत लेने” का आरोप लगाते हुए एक निजी शिकायत बहाल कर दी थी।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने येदियुरप्पा से अपनी याचिका में कर्नाटक सरकार को पक्षकार बनाने के लिए कहा और राज्य को नोटिस जारी किया।
पीठ ने कहा, “हमें इस मामले में राज्य सरकार की सहायता का लाभ मिलना चाहिए, भले ही यह एक निजी शिकायत से उपजा मामला हो।”
सुनवाई की शुरुआत में येदियुरप्पा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि राज्य को इस मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया है।
पीठ ने कहा कि वह 23 सितंबर को दिए गए अपने आदेश की अवधि बढ़ा रही है।
उच्चतम न्यायालय ने 23 सितंबर को कहा था कि 2021 के पीसीआर संख्या 40 में आगे की कार्यवाही पर अगली तारीख तक रोक रहेगी।
गौरतलब है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सरकारी ठेका देने के लिए ‘रिश्वत’ लेने के आरोप में पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता येदियुरप्पा और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ सात सितंबर को एक निजी शिकायत बहाल कर दी थी।
एक स्थानीय सत्र अदालत ने येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच संबंधी याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि तत्कालीन राज्यपाल ने इसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।
सामाजिक कार्यकर्ता टी. जे. अब्राहम ने शिकायत दर्ज कराई थी कि येदियुरप्पा और उनके परिवार के सदस्यों ने बैंगलोर विकास प्राधिकरण (बीडीए) से संबंधित ठेके देने के बदले में रामलिंगम कंस्ट्रक्शन कंपनी और अन्य मुखौटा कंपनियों से रिश्वत ली थी।
उन्होंने विशेष जांच दल (एसआईटी) से आरोपों की जांच कराने की मांग की थी।
भाषा
प्रशांत मनीषा
मनीषा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.