नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने रेणुकास्वामी हत्याकांड में कन्नड़ अभिनेता दर्शन को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने पर बृहस्पतिवार को आपत्ति जताई।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि जिस तरह से उच्च न्यायालय ने अपने विवेकाधिकार का प्रयोग किया, उससे वह ‘‘बिल्कुल भी सहमत नहीं’’ है।
पीठ राज्य सरकार की उस याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें दर्शन और अन्य सह-आरोपियों से संबंधित उच्च न्यायालय के 13 दिसंबर, 2024 के जमानत आदेश को चुनौती दी गई थी।
पीठ ने दर्शन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो, हम उच्च न्यायालय द्वारा विवेकाधिकार के प्रयोग के तरीके से संतुष्ट नहीं हैं। पूरी ईमानदारी से, हम यही कहेंगे।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम आपकी बात सुनेंगे, क्योंकि आपके मुवक्किल जमानत पर हैं, लेकिन निश्चित तौर पर आपने देखा होगा कि उच्च न्यायालय ने किस तरह से आदेश दिया।’’
दर्शन पर अभिनेत्री पवित्रा गौड़ा और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर 33 वर्षीय रेणुकास्वामी नामक उस प्रशंसक का अपहरण करने और उसे प्रताड़ित करने का आरोप है, जिसने कथित तौर पर पवित्रा को अश्लील संदेश भेजे थे।
पुलिस का आरोप है कि पीड़ित को जून 2024 में बेंगलुरु के एक शेड में तीन दिनों तक रखा गया और उसे क्रूर यातनाएं दी गईं तथा उसका शव एक नाले से बरामद किया गया।
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सुरेश नरेश
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