नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने यहां अजमेरी गेट के विनियमित क्षेत्र में कथित अवैध और अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका को 10,000 रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि याचिका केवल एक ‘छलावा’ है और इसे जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में जनहित से इतर किसी ‘बाह्य’ उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए दायर किया गया है।
पीठ ने कहा कि वह यह टिप्पणी करने के लिए बाध्य है कि ऐसी याचिकाएं अंततः वास्तविक सार्वजनिक मुद्दों को उठाने के न्यायालय के प्रयास में बाधा उत्पन्न करती हैं।
अदालत ने कहा, “भारत में जनहित याचिकाओं के विकास से संबंधित न्यायशास्त्र मुख्य रूप से बेआवाजों को आवाज देने और उन लोगों को न्याय तक पहुंच प्रदान करने से संबंधित है जो अशिक्षा, गरीबी या किसी अन्य बाधा के कारण उससे वंचित हैं।”
पीठ ने कहा कि यदि जनहित याचिका की धारा को अपवित्र करने का कोई प्रयास किया जाता है तो अदालत चुप नहीं बैठ सकती, अन्यथा जनहित याचिका के विकास का उद्देश्य विफल हो जाएगा।
पीठ ने याचिकाकर्ता मिर्जा औरंगजेब पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय कर्मचारी कल्याण कोष में जमा करना होगा।
भाषा प्रशांत रंजन
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