नयी दिल्ली, 31 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय फार्मेसी परिषद को नए फार्मेसी कॉलेज के आवेदनों को स्वीकार करने और उन पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया, जिन्होंने वैधानिक निकाय द्वारा जारी रोक के खिलाफ दिल्ली और कर्नाटक उच्च न्यायालयों का रुख किया था।
देश में फार्मेसी कॉलेज की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि आजकल शिक्षा एक उद्योग बन गई है और इस क्षेत्र में बड़े व्यापारिक घराने हैं। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘यहां चिकित्सा शिक्षा पर ज्यादा खर्च आने के कारण भारत से छात्रों को यूक्रेन जाना पड़ता था। वहां पर यह काफी सस्ती (चिकित्सा शिक्षा) है।’’
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अवकाशकालीन पीठ ने दो उच्च न्यायालयों के आदेशों के खिलाफ भारतीय फार्मेसी परिषद द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
पीठ ने मामले की सुनवाई 26 जुलाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा, ‘‘अंतरिम आदेशों के माध्यम से, हम भारतीय फार्मेसी परिषद को उन आवेदकों के आवेदन को स्वीकार करने और विचार करने का निर्देश देते हैं जो उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता थे और अंतिम निर्णय तक मंजूरी या अस्वीकृति पर कोई फैसला नहीं लिया जाएगा।’’
भारतीय फार्मेसी परिषद की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि फार्मेसी कॉलेज की बढ़ती संख्या के कारण अस्थायी रोक का आदेश जारी किया गया था और असल में, ये संस्थानों की आड़ में ‘‘उद्योग’’ हैं। कॉलेज की तरफ से पेश वकील ने कहा कि रोक के कारण उन्हें तीन साल का नुकसान हुआ है। इस पर मेहता ने कहा, ‘‘आपत्तिजनक बात यह है कि कॉलेज कह रहे हैं कि हमने तीन साल गंवाए। अगर छात्र यह कहें तो मैं इसे समझ सकता हूं लेकिन कॉलेज के लिए नहीं, जो उद्योग हैं।’’
शीर्ष अदालत दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने शैक्षणिक वर्ष 2020-21 से पांच साल के लिए नए फार्मेसी कॉलेज खोलने पर जारी रोक को रद्द कर दिया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि भारतीय फार्मेसी परिषद द्वारा अधिकार का प्रयोग उसे मिली शक्तियों से अधिक है और इस प्रकार इसे कायम नहीं रखा जा सकता है। पाबंदी और इसके अपवादों को चुनौती देने वाली 88 रिट याचिकाओं पर यह निर्णय सुनाया गया था।
यह प्रतिबंध सरकारी संस्थानों, पूर्वोत्तर के संस्थानों और उन राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू नहीं हुआ, जहां ‘डिप्लोमा इन फार्मेसी’ और ‘बैचलर ऑफ फार्मेसी’ कराने वाले संस्थानों की संख्या 50 से कम है।
भाषा आशीष दिलीप
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