नई दिल्ली: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मंगलवार को वाराणसी कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई. कोर्ट ने कोर्ट- कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को उनके पद से हटाने का निर्देश दिया है.
ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी—सर्वे के लिये एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किये गये अजय मिश्रा को उनके एक सहयोगी द्वारा मीडिया में खबरें लीक करने के आरोप में मंगलवार को स्थानीय अदालत ने पद से हटाया गया है.
सहायक एडवोकेट कमिश्नर अजय सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा को लापरवाही के आरोप में पद से हटा दिया है.
कोर्ट ने कहा कि कोर्ट कमिश्नर की जिम्मेदारी अहम होती है.
अदालत ने मिश्रा को सर्वे रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने से रोक दिया है और यह जिम्मेदारी विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह को सौंप दी है. अदालत ने सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिये दो और दिन का समय दिया है.
Uttar Pradesh | Court has granted two days time to submit the report. He (Advocate-Commissioner Ajay Kumar Mishra) was not cooperating: Assistant Court Commissioner Ajay Pratap Singh on Gyanvapi mosque report survey pic.twitter.com/u9WXJpAG4j
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 17, 2022
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ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने की पुष्टि के बाद विशेष अधिवक्ता आयुक्त ने कोर्ट को आवेदन दिया और कहा कि अभी सर्वे रिपोर्ट तैयार नहीं हुई है इसलिए उन्होंने रिपोर्ट सौंपने के लिए और वक्त देने की मांग की है. इस पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कोर्ट ने 2 दिन का और समय दिया है.
Gyanvapi mosque survey | We had sought two days' time from the court. The Court has granted us two days' time for submission of the report: Advocate Vishal Singh, the Court-appointed special assistant commissioner, in Varanasi pic.twitter.com/Lw7DfAn0ch
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 17, 2022
इसके अलावा दो और एप्लिकेशन कोर्ट में डाली गई हैं. इनमें कुछ दीवारें गिराकर वीडियोग्राफी कराने और वजूखाने के आसपास सील करने की कार्रवाई के बाद की समस्याओं को दूर कराने की इजाजत देने की मांग की गई है.
सुनवाई के समय कोर्ट में दोनों पक्ष के वकीलों के साथ ही तीनों एडवोकेट कमिश्नर और डीजीसी सिविल मौजूद थे. डीजीसी सिविल, एडवोकेट कमिश्नर और वादी पक्ष की महिलाओं के तीन अलग-अलग प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई है.
मुस्लिम पक्ष मिश्रा पर पहले से ही पक्षपात का आरोप लगाता रहा है. उसने सात मई को सर्वे के दूसरे ही दिन मिश्रा पर आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की अर्जी अदालत में दी थी. हालांकि अदालत ने इसे नामंजूर करते हुए मिश्रा के सहयोग के लिये एक विशेष और एक सहायक एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति की थी.
गौरतलब है कि अजय मिश्रा के ही नेतृत्व में ज्ञानवापी—श्रृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कार्य सोमवार को पूरा किया गया था.
सर्वे के अंतिम दिन हिन्दू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने में एक शिवलिंग मिला है. मगर मुस्लिम पक्ष ने यह कहते हुए इस दावे को गलत बताया था कि मुगल काल की तमाम मस्जिदों में वजूखाने के ताल में पानी भरने के लिये नीचे एक फव्वारा लगाया जाता था और जिस पत्थर को शिवलिंग बताया जा रहा है, वह फव्वारे का ही एक हिस्सा है.
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