नयी दिल्ली, 13 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित रूप से आपत्तिजनक ‘सोशल मीडिया पोस्ट’ के खिलाफ भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा (आईआरपीएस) अधिकारी एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की बेटी अंजलि बिरला द्वारा दायर मुकदमे की कार्यवाही मंगलवार को बंद कर दी।
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने ‘एक्स कॉर्प’ (पूर्व में ट्विटर), गूगल और अज्ञात व्यक्तियों (जॉन डो) के खिलाफ दायर मुकदमे में अंजलि बिरला के पक्ष में फैसला सुनाया।
अधिकारी ने सोशल मीडिया से वह ‘पोस्ट’ हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपने पिता के प्रभाव के कारण संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा पास की और अपने पहले ही प्रयास में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी बन गईं।
अंजलि बिरला के वकील ने अभ्वादेन दिया कि बिरला ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) एवं सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) दी थी और 2019 की समेकित आरक्षित सूची में उनका चयन हुआ था। वह आईआरपीएस अधिकारी के रूप में भारतीय रेलवे में शामिल हुईं।
अदालत ने पिछले साल जुलाई में एक अंतरिम आदेश पारित कर ‘एक्स कॉर्प’ और ‘गूगल इंक’ को अंजलि बिरला के खिलाफ आपत्तिजनक ‘सोशल मीडिया पोस्ट’ हटाने का निर्देश दिया था।
उसने अंतरिम आदेश में अज्ञात पक्षों को अंजलि बिरला द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में उल्लिखित कथित मानहानिकारक सामग्री को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पोस्ट करने, प्रसारित करने, संचारित करने, ट्वीट करने या रीट्वीट करने से भी रोक दिया था।
‘एक्स’ के वकील ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि 16 ‘पोस्ट’ में से 12 को मूल स्रोत ने हटा दिया है जबकि शेष चार पोस्ट तक पहुंच को अंतरिम आदेश का पालन करते हुए सोशल मीडिया मंच ने अवरुद्ध कर दिया है।
अदालत ने ‘एक्स’ को शेष चार पोस्ट भी हटाने का निर्देश दिया और कहा कि यदि अंजलि बिरला किसी ऐसे ही अन्य पोस्ट को उसके संज्ञान में लाती हैं, तो उन्हें भी सोशल मीडिया मंच द्वारा हटा दिया जाना चाहिए।
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सिम्मी नरेश
नरेश
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