नयी दिल्ली,31 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) की खाली पड़ी सीटों को भरने का प्रयास करने को कहा है।
अदालत ने राज्य को उन मामलों में भी ईडब्ल्यूएस श्रेणी के छात्रों की मदद करने के लिए कदम उठाने को कहा है, जिनमें स्कूलों ने दाखिले के लिए नियमों का अनुपालन नहीं किया है।
न्यायमूर्ति नज्मी वाजिरी और न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने कहा कि राज्य सुनिश्चित करे कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी में 25 प्रतिशत सीटें प्रवेश स्तर–प्री स्कूल, नर्सरी, प्री प्राइमरी, केजी और पहली कक्षा–पर घोषित स्वीकृत क्षमता के आधार पर भरी जाएं, भले ही सामान्य श्रेणी में दाखिला लिए गये छात्रों की संख्या कुछ भी हो।
पीठ ने कहा, ‘‘जिन मामलों में स्कूलों ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी छात्रों के दाखिले की सख्त जरूरतों का अनुपालन नहीं किया है , वहां राज्य को एक कल्याणकारी राज्य के रूप में अपना कर्तव्य निभाना होगा। सरकारी भूमि का लाभार्थी कोई भी संस्थान आवंटन के तहत अपने दायित्वों की अनदेखी नहीं कर सकता। ’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘राज्य निजी और सरकारी भूमि पर स्थित निजी स्कूलों में खाली पड़ी सीटों को अगले पांच वर्षों में चरणबद्ध तरीके से भरने के लिए हर प्रयास करे। अर्थात (ईडब्ल्यूएस श्रेणी में) वार्षिक 25 प्रतिशत दाखिलों के साथ-साथ पहले से खाली सीटों का 20 प्रतिशत हर साल भरा जाए। ’’
दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी और अधिवक्ता अरूण तंवर ने दलील दी कि 132 निजी स्कूल ईडब्ल्यूएस श्रेणी में छात्रों के दाखिले पर सरकार के निर्देश का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करते पाये गये हैं तथा उन्हें नोटिस भेजे गये हैं। ’’
उन्होंने कहा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी में सीटें प्रवेश स्तर पर पूरी तरह से भरी जानी चाहिए लेकिन कुछ स्कूल पिछले दशक से ईडब्ल्यूएस छात्रों का दाखिला नहीं ले रहे हैं।
अदालत ने दिल्ली सरकार को सुनवाई की अगली तारीख से पहले एक अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और विषय की अगली सुनवाई चार अगस्त के लिए तय कर दी।
खंडपीठ ‘जस्टिस फॉर ऑल’ गैर सरकारी संगठन की एक अपील पर सुनवाई कर रही है। अपील के जरिये एकल न्यायाधीश के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत दाखिले के लिए अंतिम तिथि 31 दिसंबर घोषित की गई थी।
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