नयी दिल्ली, 10 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) को निर्देश दिया कि वह वसंत विहार इलाके में मकानों के बाहर बने अनधिकृत ‘रैंप’ को फिलहाल हटाने के लिए और कदम नहीं उठाए।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ को सूचित किया गया कि एसडीएमसी ने एकल न्यायाधीश के आदेश के अनुपालन में बुधवार से रैंप को हटाना शुरू कर दिया है, जिसने हाल में अनधिकृत रैंप को हटाने में उसकी विफलता के लिए नगर निगम की खिंचाई की थी।
अदालत वसंत विहार रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की एक अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें एकल न्यायाधीश द्वारा एक अवमानना याचिका में पारित विभिन्न आदेशों को चुनौती दी गई है। इनमें यह निर्देश दिया गया था कि मकानों के बाहर बने कंक्रीट रैंप को बिना किसी देरी के हटा दिया जाए।
एसोसिएशन के वकील ने कहा कि वह अनधिकृत रैंप को स्वैच्छिक रूप से हटाने के लिए एसोसिएशन और संबंधित निवासियों से निर्देश लेंगे और 23 मार्च को अवमानना याचिका पर सुनवाई करने वाले एकल न्यायाधीश को अवगत कराएंगे।
एसडीएमसी के अधिकारियों ने पीठ को बताया कि जिन मकानों के बाहर रैंप का निर्माण किया गया है, उन्हें नवंबर 2021 में नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उन्होंने खुद इन्हें नहीं हटाया।
न्यायमूर्ति भंभानी ने कहा कि यह एक हल करने योग्य मुद्दा था। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि जिस कठोर तरीके से वे सड़क और कॉलोनियों को नष्ट कर रहे हैं, यह उचित नहीं है।’’
एकल न्यायाधीश, भावरीन कंधारी द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिनका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद ने किया। इसमें आरोप लगाया गया कि दक्षिण दिल्ली के वसंत विहार में सैकड़ों पेड़ों के आसपास के क्षेत्र को कंक्रीट से भर दिया गया है। याचिका में इन वृक्षों के संरक्षण का अनुरोध किया गया।
भाषा
देवेंद्र माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.