नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक महिला को अपने उस दावे से संबंधित दस्तावेज पेश करने को कहा, जिसमें एक मुस्लिम पति को दूसरी शादी करने से पहले मौजूदा पत्नी से अनुमति लेने की आवश्यकता होती है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने महिला के वकील को यह दिखाने के लिए दस्तावेज पेश करने को कहा कि शरीयत कानून के तहत एक मुस्लिम पति अपनी सभी पत्नियों का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है।
महिला के वकील ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश, जहां स्वतंत्रता पूर्व वाला मुस्लिम व्यक्ति कानून (शरीयत) आवेदन अधिनियम लागू है, वहां मुस्लिम पति द्वारा दो शादियां या बहुविवाह करने को विनियमित किया गया है।
इस पर पीठ ने पूछा, ”यह शरीयत कानून नहीं है, यह रस्मी कानून नहीं है। यह पाकिस्तानी कानून है। यह भारत पर कैसे लागू होता है?”
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च के लिए तय की।
भाषा शफीक नरेश उमा
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