मुंबई, 21 मई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने हृदयाघात के दौरान मस्तिष्क में जख्म पहुंचने के चलते बिस्तर पर पड़े 73वर्षीय एक व्यक्ति के लिए उनकी दो बेटियों को यह कहते हुए अभिभावक नियुक्त किया कि वह (बुजुर्ग) अपनी या अपनी संपत्ति की देखभाल करने में असमर्थ हैं।
न्यायमूर्ति अभय आहूजा की पीठ ने आठ मई के अपने आदेश में कहा कि अदालतें ऐसी स्थितियों में मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकतीं। आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध कराई गई।
उच्च न्यायालय ने दोनों बेटियों को उनके पिता का अभिभावक नियुक्त करते हुए कहा कि संबंधित व्यक्ति मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं और खुद की देखभाल करने या अपनी संपत्ति का प्रबंधन करने में असमर्थ हैं।
न्यायमूर्ति आहूजा ने कहा, ‘‘हमारे देश की उच्च अदालतें ‘पैरेंस पैट्रिया’ क्षेत्राधिकार (स्वयं की रक्षा करने में असमर्थ नागरिकों का कानूनी रक्षक) का प्रयोग करती हैं, क्योंकि वे इस अदालत के समक्ष वास्तविक जीवन की स्थिति जैसे मामलों में मूकदर्शक नहीं रह सकतीं।’’
याचिका के अनुसार 2024 में हृदयाघात के दौरान बुजुर्ग को मस्तिष्क में चोट लगी थी। इसके परिणामस्वरूप, वह अर्ध-चेतन और अक्षम अवस्था में हैं तथा आज तक बिस्तर पर ही हैं।
इसमें उच्च न्यायालय से दोनों बेटियों को उनके पिता का अभिभावक नियुक्त करने का आग्रह किया गया था।
भाषा नेत्रपाल अविनाश राजकुमार
राजकुमार
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