नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय बुधवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया जिसने राज्य को गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को भी कर्नाटक अल्पसंख्यक विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने का निर्देश देने का आग्रह करने वाली याचिका खारिज कर दी थी।
शीर्ष अदालत ने कर्नाटक सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया था कि आईएएस अधिकारियों को छोड़कर, सिर्फ मुस्लिम समुदाय से संबंधित व्यक्तियों को 1986 में निगम के गठन से लेकर अब तक के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है।
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की एक पीठ ने कहा, “नोटिस जारी कीजिए, जिसका जवाब छह हफ्ते में देना होगा।”
शीर्ष अदालत में बेंगलुरू के याचिकाकर्ता अनिल एंटनी की ओर से अधिवक्ता जी एस मणि पेश हुए।
याचिका में दावा किया गया है कि उच्च न्यायालय, जिसने पिछले साल जनवरी में आदेश पारित किया था, इस बात पर विचार करने में विफल रहा कि अन्य अल्पसंख्यक धर्मों – ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्धों के लोगों के साथ निगम के अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर भेदभाव किया गया था।
याचिका में कहा गया, “दूसरे प्रतिवादी, कर्नाटक अल्पसंख्यक विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष की नियुक्ति के मामले में अन्य अल्पसंख्यक धर्मों को समान प्रतिनिधित्व नहीं देना संविधान के अनुच्छेद 14 में प्रदत्त समानता के मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है।”
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प्रशांत अनूप
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