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Monday, 1 September, 2025
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न्यायालय मप्र के विधायक, परिजन से संबंधित याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत

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नयी दिल्ली, 29 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया जिसमें आरोप लगाया गया है कि खुरई के विधायक भूपेंद्र सिंह के भतीजे की इकाई में अवैध रूप से फेंके गए पत्थरों के ढेर पर चढ़ने और बिजली की तार के संपर्क में आने के बाद एक बच्चे को स्थायी दिव्यांगता का सामना करना पड़ा।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ताओं ने मध्य प्रदेश के खुरई गांव में जारी कथित अवैध खनन गतिविधियों को तुरंत बंद करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है। उनका दावा है कि इससे लोगों की सुरक्षा को गंभीर खतरा है।

दोनों याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पीड़ित को अंतरिम राहत प्रदान करने, उचित उपचार सुनिश्चित करने और लखन सिंह तथा भूपेंद्र सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के संबंध में उचित कार्रवाई करने समेत कई निर्देश दिए हैं।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि खुरई के विधायक भूपेंद्र सिंह का क्षेत्र में अच्छा-खासा राजनीतिक प्रभाव है और लखन सिंह एक स्टोन क्रशर के मालिक हैं।

इसमें दावा किया गया कि जब से प्रथम याचिकाकर्ता, बच्चे के पिता ने प्राथमिकी दर्ज कराने का प्रयास किया, तब से परिवार को लगातार धमकी और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।

गोंजाल्विस ने कहा कि दूसरे याचिकाकर्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसने न्याय के लिए पीड़ित परिवार का समर्थन किया था और उसे धमकियों का सामना करना पड़ा।

अधिवक्ता सत्य मित्रा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि प्रथम याचिकाकर्ता का नाबालिग बेटा बिजली की हाईटेंशन तार के संपर्क में आने से 70 प्रतिशत दिव्यांग हो गया।

इसमें दावा किया गया कि यह घटना उस समय घटी जब बच्चा अपनी गेंद को लेने के लिए खुरई में एक खेल के मैदान के पीछे अवैध रूप से डाले गए पत्थर के ढेर पर चढ़ गया।

याचिका में आरोप लगाया गया कि अवैध रूप से कुचले हुए पत्थर का ढेर लखन सिंह ने लगाया था।

इसमें आरोप लगाया गया है, ‘‘लखन और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने, पीड़ित को राहत प्रदान करने और खदान को बंद करने या आवासीय क्षेत्रों से स्थानांतरित करने के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशों के बावजूद, अधिकारी कार्रवाई करने में विफल रहे हैं।’’

इसमें दावा किया गया कि याचिकाकर्ताओं को धमकियों और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है और दूसरे याचिकाकर्ता, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, के खिलाफ झूठा आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि घटना के बाद बच्चे को अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उसकी जान बचा ली लेकिन उसका एक हाथ काटना पड़ा और शरीर के अन्य हिस्सों में भी गंभीर चोटें आईं।

इसमें कहा गया है कि एनएचआरसी ने सागर के जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि वह निवासियों को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए खनन स्थल को बंद करने या आवासीय क्षेत्र से दूर स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

याचिका में बच्चे को चिकित्सा सहायता के साथ एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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