नयी दिल्ली, 31 मई (भाषा) देश में मानसून के इस मौसम में पहले लगाए गए अनुमान से अधिक बारिश होने की उम्मीद है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मंगलवार को यह जानकारी दी जिससे भरपूर कृषि उत्पादन और मुद्रास्फीति पर लगाम लगने की उम्मीद जगी है।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मानसून के इस मौसम में औसत बारिश के दीर्घकालिक अवधि औसत के 103 फीसद रहने की संभावना है।’’ आईएमडी ने अप्रैल में कहा था कि देश में सामान्य वर्षा होगी जो दीर्घकालिक अवधि औसत का 99 प्रतिशत होगी, जो कि 1971-2020 तक के 50-वर्ष की अवधि में प्राप्त औसत वर्षा है। पूरे देश का दीर्घकालिक अवधि औसत 87 सेंटीमीटर है।
महापात्र ने कहा कि मॉनसून के लिहाज से प्रभाव वाले क्षेत्र – गुजरात से लेकर ओडिशा तक के राज्य जो कृषि के लिए वर्षा पर निर्भर हैं – में दीर्घावधि औसत के 106 प्रतिशत से अधिक सामान्य वर्षा का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है, जबकि उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों में सामान्य बारिश होने की संभावना है। यह लगातार चौथा वर्ष है जब भारत में सामान्य मानसून का अनुभव होने की संभावना है। इससे पहले, भारत में 2005-08 और 2010-13 में सामान्य मानसून देखा गया था।
महापात्र ने कहा कि निकट भविष्य में भारत में सामान्य मानसून देखने को मिल सकता है क्योंकि सामान्य से कम बारिश का दशक समाप्त होने वाला है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अब सामान्य मानसून युग की दिशा में बढ़ रहे हैं।’’
केरल में मानसून की शुरुआत की घोषणा में आईएमडी की ‘‘जल्दबाजी’’ को लेकर हुई आलोचना के बारे में पूछे जाने पर महापात्र ने कहा कि मौसम कार्यालय ने मानसून की शुरुआत और प्रगति की घोषणा करने के लिए एक वैज्ञानिक प्रक्रिया का पालन किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि केरल के 70 प्रतिशत मौसम केंद्रों ने काफी व्यापक वर्षा की सूचना दी थी और क्षेत्र में तेज पछुआ हवाओं और बादलों के बनने से संबंधित अन्य मापदंड पूरे होते थे।
महापात्र ने कहा कि मौजूदा ‘ला नीना’ स्थितियां अगस्त तक जारी रहने की उम्मीद है और भारत में मानसून की बारिश के लिए शुभ संकेत है। ‘ला नीना’ स्थितियां भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र के ठंडा होने का उल्लेख करती हैं। हालांकि, नकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुवीय के विकास की संभावना है जिससे केरल सहित सुदूर दक्षिण-पश्चिमी प्रायद्वीप में सामान्य से कम वर्षा हो सकती है।
महापात्र ने कहा कि जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में जून में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना है।
वर्तमान मानसून मौसम के लिए अद्यतन दीर्घकालिक अवधि पूर्वानुमान जारी करते हुए महापात्र ने कहा, ‘‘देश के अधिकांश हिस्सों में अच्छी वर्षा होगी।’’ उन्होंने कहा कि मध्य और प्रायद्वीपीय भारत में बारिश के दीर्घकालिक अवधि औसत का 106 फीसद होने की उम्मीद की जा सकती है, जबकि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।
आईएमडी ने 29 मई को घोषणा की थी कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अपने सामान्य निर्धारित समय एक जून से तीन दिन पहले रविवार को केरल पहुंच गया।
भाषा सुरभि उमा
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