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Thursday, 27 June, 2024
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इस्लामिक स्टेट का भारतीय मुसलमानों को संदेश : कोरोनोवायरस से लड़ने वाले देश आसान लक्ष्य हैं

इस्लामिक स्टेट के चैट ग्रुप इस संदेश के साथ पटे हुए हैं कि कोरोनोवायरस महामारी ने कैसे आतंकी हमलों को अंजाम देने का अवसर प्रदान किया है.

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नई दिल्ली: दुनिया कोरोनोवायरस महामारी के संकट का सामना कर रही है. आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के चैट इस संदेश के साथ पटे हुए हैं कि कैसे इस प्रकोप ने हमलों को अंजाम देने का अवसर प्रदान किया है, क्योंकि इससे जूझने वाले देश ‘आसान लक्ष्य’ बन गए हैं. यह संदेश भारतीय मुसलमानों से ‘कार्य करने’ का आग्रह करता है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आईएस द्वारा चलाए जाने वाले चैट समूहों पर प्रसारित होने वाली प्राथमिक औपचारिक पैग़ाम आतंकवादी नेटवर्क की पत्रिका स्वात अल-हिंद (वॉइस ऑफ हिंद) में प्रकाशित नोट की क्लिपिंग है.

आतंक नेटवर्क की शाखाओं में से एक खोरासन प्रांत में प्रकाशित नोट में कहा गया है, अल्लाह ने इस बीमारी को अधर्मी राष्ट्रों के बीच अराजकता का स्रोत बना दिया है और उनकी गलियों में पुलिस तैनात कर दी गई है. इस प्रकार उन्हें एक आसान लक्ष्य बनाओ.

दिप्रिंट ने इस नोट को देखा है लेकिन इसके प्रकाशन की तारीख का पता नहीं लग सका है.

नोट में कहा गया है कि इस अवसर का उपयोग आतंकवादी हमलों को करने के लिए किया जाना चाहिए. इस अवसर का उपयोग करें, सड़कों को खून से भरें.

कथित तौर पर पत्रिका के प्रकाशन में शामिल होने वाले आतंकवादियों में से एक जहांजेब सामी नाम का एक कश्मीरी था. सूत्रों ने बताया कि उसे इस महीने की शुरुआत में दिल्ली पुलिस ने उनकी पत्नी के साथ गिरफ्तार किया था.

दोनों आईएस के खोरासन मॉड्यूल से जुड़े थे, जिसने बुधवार को काबुल के एक गुरुद्वारे पर आतंकी हमला किया था, जिसमें 25 लोग मारे गए थे.

भारतीय समूहों में लोगों को भर्ती करने के लिए चैट समूहों के माध्यम से प्रसारित होने वाला यह नोट एक रणनीति है, जिसने इस्लामिक स्टेट द्वारा हमले की योजना बनाने की संभावना पर प्रकाश डाला गया है.

सूत्र के अनुसार, ‘हमेशा एक संभावना है कि काबुल में क्या हुआ है और इन संकेतों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है, इस पर विचार करते हुए वे कुछ योजना बना रहे हैं. लेकिन, यह अधिक युवाओं को भर्ती करने के लिए एक रणनीति की तरह लगता है.

‘भारतीय मुसलमान काम करें’

एक अन्य स्वात अल-हिंद नोट जो इन चैट समूहों पर प्रसारित किया जा रहा है वो भारतीय मुसलमानों को कार्य करने के लिए कहता है.

उसमें यह भी कहा गया है कि भारत के मुसलमानों ने जो कुछ भी झेला है, वह किसी से छिपा नहीं है. मुसलमानों कितने बेरहमी से मारे गए और कितने मस्जिद ध्वस्त किए गए हैं. अब कार्य करने का समय है.

नोट में यह भी कहा गया है कि यह बीमारी सजा है और ‘अल्लाह का अविश्वास करने वालों पर कहर’ है और इसे उनके लिए बदतर बनाना चाहिए.

यह भी कहा, ‘कोविड-19 की लगातार बढ़ती दर जो हम देख रहे हैं, वह अविश्वासियों के लिए एक पीड़ा है और विश्वासियों के लिए ख़ुशी की ख़बर लेकर आया है… हे मुवहिदीन, जो कुछ भी आपके पास है और उठो और इसे कफ़र (काफिर) के लिए और भी बुरा कर दो.

इसमें यह भी कहा गया है कि ‘आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि मोसुल, बागुज, कुनार में भाइयों और बहनों को अविश्वास करने वालों ने मलबे के नीचे जिंदा दफन कर दिया.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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