चंडीगढ़, सात अक्टूबर (भाषा) हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को मतगणना होगी। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भरोसा है कि वह लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए सत्ता बरकरार रखने में कामयाब होगी, वहीं एग्जिट पोल के अनुमान से उत्साहित विपक्षी दल कांग्रेस भी 10 साल बाद सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है।
अधिकारियों ने बताया कि आठ अक्टूबर को सुबह आठ बजे से शुरू होने वाली मतगणना प्रक्रिया के लिए सुरक्षा व्यवस्था समेत सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पंकज अग्रवाल ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मतगणना स्थलों पर तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है।’’
लोकसभा चुनावों के बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच पहला बड़ा सीधा मुकाबला है। इस चुनाव के परिणाम का इस्तेमाल विजेता द्वारा अन्य राज्यों में अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए किया जाएगा, जहां अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं।
इस चुनाव में मुख्य पार्टियां भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो)-बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और जननायक जनता पार्टी (जजपा)-आजाद समाज पार्टी (आसपा) हैं। ज्यादातर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है।
जम्मू-कश्मीर में भी हरियाणा के साथ ही मतदान हुआ, लेकिन वहां ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस-भाजपा के बीच सीधी टक्कर के बजाय बहुकोणीय मुकाबला होने की संभावना है।
महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हरियाणा की 90 सीट पर 464 निर्दलीय और 101 महिलाओं सहित कुल 1,031 उम्मीदवार मैदान में हैं। इन सीटों पर पांच अक्टूबर को एक ही चरण में मतदान हुआ था। कई एग्जिट पोल ने हरियाणा में कांग्रेस की जीत का अनुमान जताया है, जहां 67.90 प्रतिशत मतदान हुआ।
एग्जिट पोल के नतीजों को खारिज करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने दावा किया है कि उनकी पार्टी भाजपा आठ अक्टूबर को पूर्ण बहुमत के साथ तीसरी बार सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा कि जब आठ अक्टूबर को नतीजे घोषित होंगे तो कांग्रेस इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को दोष देगी।
दूसरी ओर, कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूर्ण बहुमत मिलने का विश्वास जताया है। हुड्डा को कांग्रेस के जीतने पर मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है।
भाजपा नेताओं के इस दावे पर कि उनकी पार्टी सत्ता में वापस आएगी, हुड्डा ने पूर्व में कहा था, ‘‘भाजपा और क्या कहेगी? उन्हें नतीजे आने के बाद पता चल जाएगा।’’
इनेलो-बसपा गठबंधन ने भी दावा किया है कि नतीजे घोषित होने के बाद वह अगली सरकार बनाएगा, जबकि जजपा नेता दुष्यंत चौटाला ने विश्वास जताया है कि उनके गठबंधन को जीत मिलेगी।
हरियाणा में अपने बलबूते चुनाव लड़ने वाली आप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल दावा करते रहे हैं कि उनकी पार्टी के समर्थन के बिना हरियाणा में कोई सरकार नहीं बन सकती।
सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि सत्ता में उसकी वापसी सुशासन, पारदर्शी प्रशासन, समान विकास, योग्यता के आधार पर नौकरी, किसानों, गरीबों और कमजोरों सहित सभी वर्गों के लिए कल्याणकारी पहल के अपने रिकॉर्ड के दम पर होगी।
हालांकि, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भाजपा नीत सरकार को विफल करार दिया है और किसानों, बेरोजगारी, अग्निवीर, महंगाई, कानून-व्यवस्था और अन्य मुद्दों पर उसे निशाना बनाया है।
चुनावी मुकाबले में उतरे प्रमुख उम्मीदवारों में मुख्यमंत्री सैनी (लाडवा), विपक्ष के नेता हुड्डा (गढ़ी सांपला-किलोई), इनेलो के अभय चौटाला (ऐलनाबाद), जजपा के दुष्यंत चौटाला (उचाना कलां), भाजपा के अनिल विज (अंबाला कैंट), कैप्टन अभिमन्यु (नारनौंद), ओ पी धनखड़ (बादली), आप के अनुराग ढांडा (कलायत) और कांग्रेस की विनेश फोगाट (जुलाना) हैं।
तोशाम सीट से पूर्व सांसद और भाजपा की नेता श्रुति चौधरी और अनिरुद्ध चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों चचेरे भाई-बहन हैं। डबवाली से देवीलाल के पोते और इनेलो के उम्मीदवार आदित्य देवीलाल पूर्व उपप्रधानमंत्री के परपोते जजपा के दिग्विजय सिंह चौटाला से मुकाबला कर रहे हैं।
भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई को हिसार के आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा है, जबकि महेंद्रगढ़ के अटेली से आरती राव को उम्मीदवार बनाया है, जिनके पिता राव इंद्रजीत सिंह केंद्रीय मंत्री हैं।
निर्दलीय उम्मीदवारों में सावित्री जिंदल (हिसार), रणजीत चौटाला (रानिया) और चित्रा सरवारा (अंबाला कैंट) शामिल हैं। उचाना से दुष्यंत के खिलाफ कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह मैदान में हैं, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं।
कांग्रेस और भाजपा दोनों के कुछ बागी भी मैदान में उतरे हैं। निवर्तमान विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्यों की संख्या 41 (वर्ष 2022 के उपचुनाव में जीती गई आदमपुर सीट सहित) है, कांग्रेस के 28, जजपा के छह, जबकि हरियाणा लोकहित पार्टी और इनेलो के एक-एक सदस्य हैं।
चार निर्दलीय हैं, जबकि नौ सीटें खाली हैं।
नौ में से सात सीटें इसलिए रिक्त हो गईं क्योंकि उनके प्रतिनिधियों ने पाला बदलने के बाद इस्तीफा दे दिया, जबकि बादशाहपुर सीट मई में निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के निधन के कारण खाली हुई। कांग्रेस के वरुण चौधरी के अंबाला लोकसभा सीट से विजयी होने के बाद मुलाना सीट रिक्त हो गई।
वर्ष 2019 में भाजपा ने जजपा के समर्थन से सरकार बनाई थी, जबकि अधिकतर निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन दिया था। हालांकि, इस साल मार्च में मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद जजपा का भाजपा के साथ गठबंधन खत्म हो गया।
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