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Friday, 29 March, 2024
होमदेशमहंगी सब्जियां, दवाओं की कमी - कैसे मिजोरम को नुकसान पहुंचा रही है असम की 'नाकाबंदी'

महंगी सब्जियां, दवाओं की कमी – कैसे मिजोरम को नुकसान पहुंचा रही है असम की ‘नाकाबंदी’

असम ने राष्ट्रीय राजमार्ग 306 की नाकाबंदी कर दी है, जो मिजोरम को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है, और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. पिछले साल भी इसी तरह की झड़पों के बाद अक्टूबर 2020 में एक महीने के लिए इस राजमार्ग को बंद कर दिया गया था.

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वैरेंगटेि(मिजोरम) : असम सरकार द्वारा मिजोरम को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 306 पर कथित रूप से लगाई गई अघोषित आर्थिक नाकेबंदी के कारण राज्य के सभी जरुरी सामानों की आपूर्ति लगभग बंद है. इस वजह से इस राज्य के निवासियों में गुस्सा है कि उन्हें अपनी व्यवस्था अपने आप करने के लिए छोड़ दिया गया है.

विवादित सीमा स्थल से महज तीन किलोमीटर दूर स्थित मिजोरम के कोलासिब जिले के एक कस्बे वैरेंगटे में,जहां पिछले हफ्ते असम और मिजोरम पुलिस के बीच हुई झड़प में छह लोगों की मौत हो गई थी, सब्जियों की कीमतें बेतहाशा बढ़ गई हैं और दवाओं एवं अन्य जरूरी वस्तुओं की भी कमी हो गई है.

असम के हैलाकांडी में कथित तौर पर कुछ उपद्रवियों द्वारा रेलवे की पटरियों को बाधित किये जाने से मिजोरम को जोड़ने वाली रेल सेवाएं भी बाधित हो गई हैं, जो इस राज्य में माल की आपूर्ति के लिए एकमात्र वैकल्पिक मार्ग है, इससे इस राज्य की परेशानी और बढ़ गई है. हालांकि, त्रिपुरा और मणिपुर से दो अन्य सड़क मार्गों के माध्यम से कुछ आवश्यक वस्तुएं अभी भी मिजोरम पहुंच रही हैं, लेकिन स्थानीय निवासियों का कहना है की सड़कों की बदतर स्थिति के कारण उनके लिए यह एक महंगा विकल्प है.

एक दुकानदार ने बताया, ‘जो सब्जियां बगल के सिलचर से आती थीं, वे अब आइजोल से आ रही हैं, जो यहां से 250 किमी से भी अधिक को दूरी पर है. वहां से आने वाला स्टॉक सीमित है और बेचने वाले इसके लिए काफी पैसा वसूल रहे हैं. ट्रांसपोर्ट भी बहुत महंगा पड़ता है. अगर यह नाकेबंदी जल्द खत्म नहीं हुई, तो कीमतें और भी बढ़ जायेंगी. करेला जो पहले 50 रुपये प्रति किलो था, अब 80 रुपये प्रति किलो है. ऐसे में आने वाले समय में आगे कीमत सिर्फ बढ़ेगी हीं.’

इस बात से बेखबर लोग कि यह नाकेबंदी कितने समय तक चलने वाली है अधिकांश स्थानीय लोग अब अपने पास मौजूदा राशन के स्टॉक को बचाये रखने के लिए बांस की टहनियों (बम्बू शूट्स) को खाना पसंद कर रहे हैं.

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एक स्थानीय निवासी वी.एल. डिका ने कहा, ‘हमारे पास अभी पर्याप्त राशन, चावल और चीनी है, लेकिन अगर यह (नाकाबंदी) नहीं खुली तो क्या होगा? हमें जीना तो है. हम भूखे नहीं रह सकते. अगर हमें सामान की आपूर्ति नहीं मिली तो हमें म्यांमार और बांग्लादेश से मदद लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.’

डिका ने कहा कि ‘आक्रामक’ रुख अपनाकर असम ‘मिज़ो लोगो को अपने से और दूर कर रहा है’, लेकिन वे ‘लड़ेंगे जरूर’.

डिका कहते हैं, ‘वे हमें अलग-थलग कर रहे हैं और इस आक्रामक होकर हमें अपने से दूर धकेल रहे हैं. हम अपने आप को अलग-थलग महसूस तो करते हैं लेकिन हम इससे और मजबूत होकर उभरेंगे.’ वे हमारी सभी जरुरी आपूर्ति में कटौती करना चाहते हैं, उन्हें ऐसा करने दीजिये. हम किसी तरह अपना काम चला हीं लेंगे.‘

V.L Dika (left) said that Mizoram will ‘somehow manage’ | Photo: Praveen Jain/ThePrint
वी.एल डिका (बाएं) कहते हैं मिजोरम किसी तरह से मैनेज कर लेगा/ फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

मिजोरम के गृह सचिव लालबियाकसांगी ने इस बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि एनएच 306 को अवरुद्ध किये जाने से ‘मिजोरम के लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है’.

हालांकि, केंद्र सरकार ने अब तक इस पत्र का जवाब नहीं दिया है (इसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास भी है).

दिप्रिंट ने असम के मुख्य सचिव जिष्णु बरुआ और पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत से फोन कॉल और व्हाट्सएप संदेशों के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश की ताकि असम द्वारा नाकेबंदी लगाने के आरोपों के बारे में उनका जवाब जाना जा सके, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.


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दवाओं की कमी

अभी यहां दवाओं की भी कमी हो रही है. मिजोरम के केमिस्ट एंड ड्रग्स एसोसिएशन ने अब राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि इस महामारी के बीच जीवन रक्षक दवाओं की कमी से ‘मिजोरम में बहुत दूरगामी प्रभाव एवं परिणाम होंगे’.

इस पत्र में कहा गया है, ‘असम सरकार ने सुरक्षा सम्बन्धी चिंताओं की आड़ में गुवाहाटी के सभी ट्रांसपोर्टरों को मौखिक रूप से निर्देश दिया है कि वे (मिजोरम के लिए) कोई भी सामान बुक न करें. यहां तक ​​कि कोरियर भी नहीं पहुंच रहे हैं. असम द्वारा जीवन रक्षक दवाओं की रोकी जा रही आपूर्ति से हमारे राज्य में गंभीर स्थिति पैदा होगी और इसके दूरगामी प्रभाव एवं परिणाम होंगे.‘

दिप्रिंट से बात करते हुए, इस एसोसिएशन के उपाध्यक्ष, वनथंगपुइया ने कहा, ‘हम जिस परिस्थिति में हैं वह हमारे लिए बहुत ही कठिन स्थिति है. गुवाहाटी से आने वाली दवाओं को एन एच 306 के जरिये आना पड़ता है, जिसे असम ने बंद कर दिया है. एंटीबायोटिक्स, इंसुलिन जैसे इंजेक्शन की भारी कमी है और कोई हमारी बात नहीं सुन रहा है. इसे (नाकाबंदी को) जल्द से जल्द उठाए जाने की जरूरत है.

यह कोई पहली बार नहीं है जब इस तरह की नाकेबंदी लगाई गई है. पिछले साल अक्टूबर में, उसी लैलापुर-वैरेंगटे सीमा पर हुए संघर्ष के बाद, एन. एच. – 306 लगभग एक महीने – 17 अक्टूबर से 11 नवंबर तक,- के लिए बंद कर दिया गया था – जिससे मिजोरम को होने वाले सामानों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई थी.

वैरेंगटे निवासी छाना पूछते हैं, ‘जब भी कोई समस्या आती है, तो वे राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर देते हैं, जिसके बारे में वे जानते हैं कि यह हमारी जीवन रेखा है. इससे हमारी सभी खाद्य आपूर्ति एवं अन्य आवश्यक वस्तुएं ठप हो जाती हैं. क्या अपने साथी देशवासियों के साथ व्यवहार करने का यही सही तरीका है? उन्हें अलग- थलग करके?’

A man herds his cattle along a deserted National Highway 306 at Silchar in Assam | Photo: Praveen Jain/ThePrint
असम के सिलचर में एक सुनसान राष्ट्रीय राजमार्ग 306 पर एक आदमी अपने मवेशियों को चराता हुआ | फोटो: प्रवीण जैन / दिप्रिंट

फंसे हुए ट्रक वाले

आंध्र प्रदेश, राजस्थान, पंजाब जैसे दूर-दराज के राज्यों से मिजोरम में मशीनों सहित अन्य उपकरणों की आपूर्ति करने आए ट्रक वाले भी राष्ट्रीय राजमार्ग पर फंसे हुए हैं.

उन्होंने अपने ट्रक सड़क के किनारे खड़े कर दिए हैं, और उनके अंदर हीं अपना खाना बना रहे हैं. उनमें से अधिकांश के पास अब खाने के स्टॉक, पैसे आदि भी खत्म हो गए हैं और अब वे सड़क किनारे के विक्रेताओं और दुकानदारों से मदद मांग रहे हैं.

आंध्र प्रदेश के एक ड्राइवर रवि शेखर ने कहा ‘हम पिछले कई दिनों से यहां पड़े-पड़े तड़प रहे हैं. पता नहीं यह सड़क कब खुलेगी? अगर एक महीने तक नहीं खुली तो क्या हम यहीं फंसे रहेंगे? मेरा घर यहां से 2500 किमी दूर है, अब मैं घर भी नहीं लौट सकता.’

Ravi Shekhar, a trucker from Andhra Pradesh stranded at the Assam-Mizoram border | Photo: Praveen Jain/ThePrint
असम मिजोरम बॉर्डर पर आंध्र प्रदेश के एक ट्रक ड्राइवर रवि शेखर, फंस गए हैं./ फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

इस बारे में पूछे जाने पर कि वे कोई अन्य वैकल्पिक रास्ता क्यों नहीं अपना रहे हैं? आंध्र प्रदेश के एक अन्य ड्राइवर, साईं महबूब बादशाह ने कहा, ‘इस कंटेनर ट्रक के हिसाब से वैकल्पिक मार्ग पर बनी सड़क की स्थिति अच्छी नहीं है. वहां बहुत बारिश हो रही है, अगर हम बीच रास्ते में फंस गए और मशीनें खराब हो गईं तो क्या होगा? हम यहां तक ​​पहुंच गए हैं और जिस स्थान पर हमें डिलीवरी करनी है वह यहां से काफी करीब है. अगर यह रास्ता नहीं खुला तो हमें कुछ और सोचना होगा. अभी के लिए तो यह ट्रक हीं हमारा घर है.‘

असम के लैलापुर में दोनों राज्यों की सीमा के बगल में रहने वाले लोगों के लिहाज से यह नाकाबंदी ‘मिजोरम को सबक सिखाने के लिए बहुत जरुरी थी’.

उनमें से एक तजुद्दीन ने कहा, ‘उन्हें हथियार उठाने और हमारे पुलिसकर्मियों को मारने के लिए सबक सिखाने की जरूरत है.‘

लैलापुर के एक अन्य ड्राइवर आलम ने कहा, ‘जब हम उस तरफ जाते हैं तो वे (मिज़ो लोग) हमारे वाहनों पर पत्थर फेंकते हैं. जैसे हीं वे असम का नंबर प्लेट देखते हैं, वे पत्थर फेंक देते हैं, वे इस नाकाबंदी के लायक हैं. अब जब उन तक खाना नहीं पहुंचेगा तो उन्हें पता चल जाएगा.‘

Students play football on the empty NH 306 at Varaingte | Photo: Praveen Jain/ThePrint
असम के खाली पड़े राष्ट्रीय राजमार्ग 306 पर कुछ छात्र फुटबॉल खेलते हुए/ फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

‘असम को अपनी ताकत दिखाना बंद कर देनी चाहिए’

इस बीच वैरेंगटे के लोगों में गुस्से की भावना बढ़ रही है, जो यह मानते हैं कि असम अपनी ‘ताकत’ दिखाकर उन्हें ‘डराता’ है.

एक अन्य निवासी रामा ने कहा, ‘उन्हें (असम को) खुद को बड़ा दादा समझना बंद करना होगा और हमें भी कुछ सम्मान देना होगा. उनके पुलिसकर्मी बड़ी संख्या में आते हैं, यह उनकी रणनीति है. वे आते हैं और हमारे लोगों को तंग करते हैं, हमें परेशान करते हैं. उन्हें अपनी ताकत दिखाना और हमें डराना बंद कर देना चाहिए. यह केवल विभाजन पैदा कर रहा है.‘

यहां के कई निवासियों ने यह भी कहा कि वे कभी भी, किसी प्रकार के संघर्ष की शुरुआत करने वाले लोग नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि 26 जुलाई को भी, असम पुलिस ही अपने 200 कर्मियों के साथ ‘मिजोरम पुलिस को यहां से हटाने’ के लिए आई थी.

उन्होंने कहा कि उन्हें असम की ओर से हुए जानमाल के नुकसान के लिए खेद है, लेकिन उन्होंने अपनी कार्रवाई को रक्षात्मक कृत्य के रूप में उचित ठहराया.

Empty market at Varaingte in Mizoram | Photo: Praveen Jain/ThePrint
मिज़ोरम के वरिंगटे में खाली पड़े हैं बाजार/ फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

एक स्थानीय निवासी जेम्स ने कहा, ‘ज़रा सोचिए, अगर कोई आपके घर में घुसकर जबरदस्ती आपको घर से निकाल दे, तो क्या आप चुपचाप बैठे रहेंगे? आप अपने घर, अपनी जमीन को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे और यही हमने किया.’

एक अन्य निवासी सी. लालनुनपुइया ने कहा, ‘हम उन लोगों में से नहीं हैं जो कभी भी कोई लड़ाई शुरू करेंगे. लेकिन अगर हमें उकसाया जाता है तो हम चुप भी नहीं रहेंगे. हम अपनी हताशा की चरम सीमा पर पहुंच गए हैं, उन्हें (असम) हमें और पीछे नहीं धकेलना चाहिए.’

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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