रांची: झारखंड सरकार और यहां के लोग इस बात से खुश हैं कि अभी तक राज्य में कोरोनावायरस से संक्रमित एक भी मामले की भी पुष्टि नहीं हुई है. खुश होना भी चाहिए. लेकिन जब पड़ोसी राज्य बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ में इसके मरीज मिल चुके हैं, तब चेत जाना अधिक जरूरी हो जाता है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक शनिवार 29 मार्च की शाम तक सरकार ने 196 लोगों को संदिग्ध मानते हुए कोरोनावायरस की जांच कराई गई है. इसमें 190 की रिपोर्ट आ चुकी है जिसमें एक भी की भी पुष्टि नहीं हुई है. बाकि छह लोगों के परिणाम अभी आने हैं.
जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज और रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में जांच की सुविधा है. राज्य के कुल 24 जिलों में से 12 जिलों से अभी तक कोई सैंपल ही नहीं लिया गया है. मात्र 12 जिलों से सैंपल लिए गए हैं.
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एक संदिग्ध की हुई है मौत, जांच के लिए भेजा गया सैंपल
झारखंड में सैंपल जांच का हाल ये है कि बीते 28 मार्च की शाम को देवघर जिला अस्पताल में एक लड़की एडमिट हुई. उसके सिर में तेज दर्द, बदन में दर्द और बुखार था. एडमिट होने के एक घंटे बाद वह मर गई. उसके साथ उसकी मां आई थी. बेटी के मरने के बाद उसने अस्पतालकर्मियों के साथ मारपीट की.
उसका कहना था कि उसकी बेटी अगर कोरोना से मरी है तो वह बाकियों को भी नहीं छोड़ेगी. अस्पताल प्रशासन ने मां और बेटी दोनों के सैंपल जांच के लिए रांची भेजा है. सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार ने बताया कि चार डॉक्टरों के साथ मारपीट हुई है. सबने काम करने से मना कर दिया है. फिलहाल डॉक्टरों के साथ बाचतीत चल रही है. साथ ही महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दिया गया है.
सरकार की जानकारी के मुताबिक अगर आइसोलेशन में रखने की नौबत आई तो 567 बेड का ही इंतजाम है. राज्य के मेडिकल कॉलेजों में 96 बेड, जिला अस्पतालों में 200 और निजी अस्पतालों में कुल 271 बेड हैं. वहीं सरकार के पास मात्र 1469 लोगों को क्वारेंटाइन सेंटर में रखने की सुविधा है. हिन्दुस्तान अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के 14 जिलों में कोरोना के मरीजों के लिए आईसीयू की कोई व्यवस्था तक नहीं है.
राज्य में कुल जांच किट इस वक्त 1000 हैं और 20 हजार किट का ऑर्डर दिया गया है. स्वास्थ्य सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने बताया कि बहुत जल्द ये भी आ जाएगा.
सरकार ने माना है कि झारखंड में बाहर के राज्यों से अब तक कुल 73,251 लोग आ चुके हैं. वहीं विदेशों से 1031 लोग. विदेशों से आए लोगों को निगरानी में रखा गया है लेकिन अस्पतालों के बजाए ये अपने घरों में ही हैं. यानी ये होम क्वारेंटाइन में हैं. वहीं 453 लोग हॉस्पिटल क्वारेंटाइन में हैं. 203 लोगों ने 28 दिनों का क्वारेंटाइन पीरियड पूरा कर लिया है.
जिनके पास एक कमरे वाले घर, वहां कैसा होम क्वारेंटाइन
ऐसे में सवाल उठता है कि गांवों में जिनके पास एक या दो ही कमरे हैं, वे किस तरह होम क्वारेंटाइन से संबंधित सावधानी बरत सकते हैं?
वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश कहते हैं, ‘पीएम आवास योजना में भी दो कमरे हैं. एक परिवार में औसतन सात-आठ लोग रहते हैं. ऐसे में हरेक में चार लोग. यानी यहां होम क्वारेंटाइन का तो कोई मतलब ही नहीं है. झारखंड कोरोना के स्टेज टू से निपटने के लिए किसी भी तरीके से तैयार नहीं है. इसकी निगरानी के बजाए राज्य के सीएम और डीजीपी टाटा स्काई रिचार्ज संबंधी ट्वीट पर रिप्लाई दे रहे हैं.’
बता दें कि दिप्ती अग्रवाल नाम की महिला ने अपने टाटा स्काई के रिचार्ज न होने की शिकायत ट्विटर पर सीएम हेमंत सोरेन से की थी. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम ने कहा, ‘मेरे भी दो बच्चे हैं दिप्ती जी, इसलिए आपकी परेशानी पूरी तरह समझ सकता हूं.’
सीएम के ट्वीट के बाद डीजीपी एवी राव ने जवाब दिया कि, ‘रिचार्ज कैन बी डन ऑनलाइन एट टाटास्काई वेबसाइट. इट्स क्वाइट सिंपल. हालांकि बाद में सीएम ने यह ट्वीट डिलिट कर दिया.’
इधर लोहरदगा जिले में मिडिल स्कूल लोहरदगा में मिड डे मील के तहत चावल बांटने के लिए सैंकड़ों बच्चों को बुला लिया गया. महज ढाई से तीन किलो चावल देने के लिए शनिवार को इन बच्चों को स्कूल में जमा कर दिया गया.
राज्य में मेडिकल इमर्जेंसी और मंत्री का मोबाइल 5 घंटे ऑफ
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का फोन रविवार को 5 घंटे ऑफ था. दिप्रिंट इस दौरान लगातार मंत्री से बातचीत की कोशिश करता रहा, जब फोन बंद किए जाने का कराण पूछा तो जवाब मिला, ‘मंत्री का फोन ऑफ नहीं हो सकता क्या.’ बिजली नहीं थी, इसलिए फोन चार्ज नहीं था. मंत्री जमशेदपुर के कदमा इलाके में रहते हैं. वहा जुस्को कंपनी बिजली सप्लाई करती है. वहां फोन करने पर रूपा नाम की महिला ने कहा कि नहीं ऐसी कोई बात नहीं है. बिजली लगातार सप्लाई की जा रही है.
जो लोग बाहर से आए हैं सरकार उनकी निगरानी कैसे कर रही है, उसका क्या सिस्टम डेवलप किया गया है? मंत्री ने कहा, ‘बाहर से जो आने वाले थे वो तो आ गए हैं. जो विदेश से आए हैं उनको तत्काल जरूरत के मुताबिक क्वारेंटाइन और आइसोलेट कर रहे हैं. जहां तक इंटर स्टेट का मामला है उनको उनके थाना क्षेत्र, बीडीओ को सक्रिय कर थर्मोस्केनर से जांच की जा रही है. ये तो बड़ा प्रॉसेस है. इसमें 45 हजार लोगों का जांच किया फिर उनको छोड़ा गया.’
उन्होंने कहा कि, ‘मैं वैसा मंत्री नहीं हूं जो बहुत झूठ फरेब करे. स्वीकार करता हूं कि उसमें कुछ गड़बड़िया हुईं कि बड़ी संख्या में लोगों को छोड़ भी दिया गया है.’
अफसर स्थिति की गंभीरता को शुरुआती दौर में समझ नहीं पाए. जिनके पास एक या दो कमरे हैं, उनके लिए होम क्वारेंटाइन का क्या मतलब है, उनकी निगरानी सरकार कैसे कर रही है?
बन्ना गुप्ता ने कहा, ‘ये सवाल आठ दिन पहले पूछते तो वाजिब रहता. अब पूरा लॉकडाउन हो चुका है. सारी स्थिति सामान्य है. पीपी गाउन की कमी है, उसके लिए केंद्र सरकार से मांगा गया है.’
इधर मुख्य सचिव डीके तिवारी ने बताया कि, ‘कोरोनावायरस जांच के लिए आठ नई मशीनें मंगाई गई हैं. आगामी तीन दिनों में इसे राज्य के विभिन्न अस्पतालों में लगा दिए जाएंगे. वहीं 380 नए वेंटिलेटर का ऑर्डर भी दिया गया है.’
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बाहरी राज्यों में अब भी फंसे हैं हजारों झारखंडी
सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में डीके तिवारी ने बताया है कि गुजरात के 74 स्थानों पर 3000 से अधिक, तमिलनाडु में 2250, केरल के 145 स्थानों पर 2944, आंध्र प्रदेश के 32 स्थानों पर 532 लोग फंसे हुए हैं. वेल्लोर में इलाज कराए गए लगभग 600 लोग वहीं रुके हुए हैं.
इसके साथ ही पश्चिम बंगाल के 28 स्थानों पर 550, मध्य प्रदेश में 138, छत्तीसगढ़ में 1500, दिल्ली में 1500, महाराष्ट्र में 740, पंजाब में 479 लोग फंसे हुए हैं. यूपी में भी हजारों लोग फंसे हुए हैं. इन सबसे सरकार ने अपील की है कि वह जहां हैं वहीं रहें. उन्हें स्थानीय राज्य और जिला प्रशासन से मदद मुहैया कराई जाएगी.
(आनंद दत्ता स्वतंत्र पत्रकार हैं)
Jharkhand mein corona test or elaj kyon nahi aya