नई दिल्ली: कोरोनावायरस संकट और उससे निपटने के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) के कारण भारत में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ लोगों के प्रभावित होने की आशंका है. इससे उनकी नौकरियों और कमाई पर असर पड़ सकता है जिससे वे गरीबी दुष्चक्र में फंस सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (अईएलओ) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह कहा.
भारत ने महामारी पर लगाम लगाने के लिये 25 मार्च से 21 दिन के देशव्यापी बंद की घोषणा की है. आईएलओ के अनुसार भारत उन देशों में से एक है जो स्थिति से निपटने में अपेक्षाकृत कम तैयार है.
जिनेवा में जारी आईएलओ की रिपोर्ट के अनुसार, ‘कोरोना वायरस के कारण असंगठित क्षेत्र में काम करनेवाले करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं. भारत, नाइजीरिया और ब्राजील में लॉकडाउन के कारण अंसगठित क्षेत्र में काम करनेवाले कामगारों पर ज्यादा असर पड़ा है.’
रिपोर्ट के अनुसार, ‘भारत में करीब 90 प्रतिशत लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं. ऐसे में करीब 40 करोड़ कामगारों के रोजगार और कमाई प्रभावित होने की आशंका है. इससे वे गरीबी के दुश्चक्र में फंसते चले जाएंगे.’
इसमें कहा गया है, ‘भारत में मौजूदा ‘लॉकडाउन’ का इन कामगारों पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है….कामकाज बंद होने से उनमें से कई अपने गांवों को लौट गये हैं.’
आईएलओ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर इस महामारी से कामकाजी घंटों और कमाई पर प्रभाव पड़ा है.
आईएलओ की रिपोर्ट में सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों को रेखांकित किया गया और संकट से पार पाने के लिये नीतिगत उपायों का सुझाव दिया गया है.
संगठन के अनुसार संकट के कारण 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में 6.7 प्रतिशत कामकाजी घंटे समाप्त होने की आशंका है. यानी कोरोनावायरस महामारी के कारण केवल दूसरी तिमाही में ही 19.5 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियां खत्म हो सकती हैं.