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Monday, 6 May, 2024
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कोविड-19 लॉकडाउन के कारण पलायन करने को मज़बूर हज़ारों लोग, वापस कभी न लौटने की खा रहे कसमें

दिल्ली की हर गली से निकलते ऐसे लोग मिल जाएंगे जिनके पास छोटे-छोटे बैग हैं. पीएम मोदी ने भले ही आश्नासन दिया हो कि घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है. लेकिन घबराहट के मारे ये लोग पैदल बिहार भी जाने को तैयार हैं.

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नई दिल्ली: कोरोनावायरस के ख़ौफ़ को ताक पर रख कर 23 साल की पुष्पा कुमारी अकेले ही दिल्ली से आगरा के लिए निकल पड़ी है. दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने वाली पुष्पा को कोरोना से ज़्यादा भविष्य की अनिश्चितता का डर सता रहा है. ऐसे ही अनिश्चित भविष्य के डर से यूपी-बिहार के हज़ारों लोग दिल्ली से अपने गांव की ओर पैदल निकल पड़े हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जब लॉकडाउन की घोषणा की तो उन्होंने कहा कि जो जहां है वहीं रुक जाए. उन्होंने कहा कि ये वायरस बहुत ख़तरनाक है और अभी लॉकडाउन के अलावा इससे बचने का कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने ये आश्वासन भी दिया कि घबराने की ज़रूरत नहीं है. फिर भी इन प्रदेशों के हज़ारों लोग घबराहट के मारे पलायन कर रहे हैं.

भूख और अनिश्चितता के मारे घर की ओर निकले लोग

ऐसे ही एक घबराए हुए व्यक्ति शिव सागर दिल्ली से उत्तर प्रदेश जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘कोरोना का भय तो था लेकिन हम रिक्शा चलाते थे. किसी के पास खाने के पैसे नहीं बचे. आप ही बताइए कि हम क्या करें?’ शिव के साथ भीड़ में शामिल दर्जन भर लोगों के परिवार वालों के साथ अतिराज भी दिल्ली से बरेली निकले हैं.

अपना दर्द बयां करते हुए अतिराज ने कहा, ‘परिवार के साथ अशोक विहार से यहां तक पैदल पहुंचे. सब के जाने की जब भगदड़ देखी तो मैंने भी दिल्ली छोड़ने का फैसला लिया.’


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अतिराज के साथ उनकी पत्नि, बेटे, बहू, भाई, भाई की पत्नी और कुछ बच्चे भी हैं. वो परिवार का हवाला देते हुए कहते हैं कि वायरस तो ठीक है लेकिन दिल्ली में रहते तो इनका गुज़ारा कैसे होता. इन्हीं की तरह दिल्ली के विजय विहार में रह रहीं यूपी की रेखा को शाहजहांपुर जाना है. उनके साथ उनके पति और दो छोटे बच्चे हैं.

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कोरोना से लड़ने के सबसे अच्छे तरीके से जुड़े घर में बंद और सुरक्षित रहने वाले सवाल के जवाब में रेखा कहती हैं, ‘घर में रहेंगे तो बच्चों को क्या खिलाएंगे. जो बेलदार हैं…रोज काम करते हैं और कमाते हैं. कमाई ना है त का खाएं? जब काम नाए लग रहो है ता का होई?’ बेरोज़गारी और अनिश्चितता के बादल रेखा जैसे हज़ारों परिवारों पर छाए हुए हैं.

दिल्ली की हर सड़क और गली से लगातार निकलते ऐसे लोग मिल जाएंगे जिनके पास छोटे-छोटे बैग हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने भले ही ये आश्नासन दिया हो लेकिन घबराहट के मारे ये लोग पैदल बिहार तक जाने को तैयार हैं. इनमें इस बात का भरोसा है कि अगर ये अपने गांव पहुंच गए तो कम से कम भूखे नहीं मरेंगे. वहीं, इनमें से कई कभी दिल्ली वापस नहीं आने की कसम खा रहे हैं.


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ऐसे ही एक प्रवासी सुखदेव दिल्ली के विजय विहार में रहते थे. उन्होंने कहा, ‘खाने को जेब में पैसे नहीं है और मकान मालिक किराया मांग रहा है. रोटी के लिए जब पैसे नहीं हैं तो किराया कहां से दें.’ वो कहते हैं कि जल्दी से शाहजहांपुर पहुंच जाएं तो जान में जान आ जाए.

दिल्ली-यूपी ने पूर्ण लॉकडाउन से पीछे खींचे कदम

कोरोना महामारी को फ़ैलने से रोकने के लिए लोग जहां हैं उन्हें वहीं रोकने की नीति से कदम पीछे खींचते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने 200 बसें और दिल्ली सरकार ने 100 बसें चलाने का ऐलान किया है. इनमें यूपी के लोगों को उनके शहर ले जाया जाएगा. ये जानकारी दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया ने अपने एक ट्वीट में दी.

बिहार सरकार द्वारा ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है. इस बीच स्पाइस जेट ने घोषणा की है कि वो लोगों को उनके राज्यों तक पहुंचा सकती है. इसपर तेजस्वी यादव ने शुक्रिया अदा करते हुए लिखा, ‘अब नीतीश कुमार और पीएमओ को तालमेल बिठाकर ये देखना है कि हमारे लोग बिना किसी स्वास्थ्य के जोखिम के घर कैसे पहुंचे.’

केंद्र सरकार ने लोगों को एयर लिफ्ट करने के किया मना

हालांकि, बृहस्पतिवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में गृह मंत्रालय ने साफ़ कर दिया है कि इन लोगों को एयर लिफ्ट करने की कोई योजना नहीं है. सरकार अपनी लॉकडाउन की नीति पर कायम है. आपको बता दें कि चीन ने 31 दिसंबर को कोरोना जैसे नए वायरस की मौजूदगी की बात स्वीकारी थी जिसके बाद भारत में इसका पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था.


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केंद्र सरकार ने मंगलवार को लॉकडाउन की घोषणा की लेकिन राजधानी में अभी भी लोग सड़कों पर हैं. राजधानी का हर तीन में से दूसरा प्रवासी यूपी-बिहार का है. एक रिपोर्ट की मानें तो राजधानी में इनकी आबादी 40 प्रतिशत के करीब है.

अगर जल्द ही दिल्ली की हर गली से अपने घर की ओर निकल रहे इन लोगों को सुरक्षित भाव से दिल्ली में रोकने या इनके घर पहुंचाने की कोई नीति नहीं बनाई जाती तो कोरोना के ख़िलाफ़ जंग से जुड़े लॉकडाउन के सफ़ल होने पर कई गंभीर सवाल बने रहेंगे.

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