वाराणसी: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के अलग-अलग क्षेत्र में अब तक चार कोरोना पॉज़िटिव मामले सामने आ चुके हैं, इसमें से एक केस बजडीहा, दो केस मदनपुर और एक केस लोहता से है. कोरोना पॉजिटिव मामला सामने आने के बाद हॉटस्पॉट एरिया को पूरी तरह सील कर दिया गया है. ऐसे क्षेत्र को लेकर लोगों में अजीब सी दहशत भी घर कर गई है, आम आदमी की बात तो छोड़ ही दी जाय. डॉक्टर, नर्स और स्टाफ तक में इतना डर बैठ गया है कि गर्भवती महिलाओं को बीएचयू के स्त्रीरोग वार्ड में छूने से ही इनकार कर दिया गया.
गर्भवती महिलाओं को लेकर वाराणसी में अब तक के दो मामले आ चुके हैं, जो दिल को दहला देने वाले और मानवता को शर्मसार कर देने वाले हैं. एक केस मदनपुर का है तो दूसरा केस बजरडीहा का है.
बुधवार की देर रात मदनपुर की फ़ौजिया शाहीन नाम की गर्भवती महिला को दर्द उठा. परिवार वाले किसी तरह गाड़ी की व्यवस्था करके बीएचयू अस्पताल पहुंचे. इमर्जेंसी से उसे गाईनिक वार्ड में भेजा गया. लेकिन वहां के स्टाफ और डॉक्टर का रवैया दिल को दहला देने वाला था.
तुमलोग कोरोना वाले हो
फ़ौजिया की ननद अंबर बताती हैं कि, ‘सबसे पहले हम अपने रेगुलर डॉक्टर कविता दीक्षित के पास गए. उनसे कॉल पर बात करने के बाद ही गए थे, लेकिन जब हम उनके घर पहुंचे तो उन्होने गेट भी नहीं खोला और दूर से ही बोली,- ‘तुम लोग कोरोना वाले हो, बीएचयू जाओ.’
अंबर बताती हैं कि, ‘उसके बाद हम लोग बीएचयू अस्पताल गए, जहां पर पहुंचते ही हम लोग स्ट्रेचर लेने के लिए गए, जब स्ट्रेचर लेने कि लिए गए तो वहां पर पूछ गया कि कहां से आए हैं, जब हमने बताया मदनपुर से. इतना सुनते ही ऐसा लगा सभी लोगों ने भूत देख लिया है, लोग वहां से भागने लगे.’
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इसके बाद पर्ची लेने के लिए गए, रात को करीब एक बज रहे थे, पर्ची मिलने के बाद हम डॉक्टर के पास गए. डॉक्टर ने सभी रिपोर्ट देखकर पूछा- आप कहां से आई हैं? हमने बता दिया मदनपुर से! मदनपुर का नाम सुनते ही सभी डॉक्टर और नर्स ने हमें वहां से भगा दिया, यहां तक कि अस्पताल में भी नहीं रहने दिया गया. हम लोग अस्पताल के गेट के पास खड़े थे.
फ़ौजिया का दर्द लगातार बढ़ता जा रहा था, एंबुलेंस के स्ट्रेचर पर उनको सुलाये, वो दर्द के मारे चिल्ला रही थी, स्ट्रेचर पर ही उनकी डिलिवरी हो गई. नाल काटने के लिए कई डॉक्टरों के पास गई सभी ने भगा दिया. 38 साल की अंबर बताती हैं कि, ‘जब सभी जगह से मिन्नतें करके थक गए और किसी ने मदद नहीं की तो हम दूसरों से पूछकर अपने हाथ से ही नाल काटें. इसके बाद कई लोगों से (डॉक्टर, नर्स और स्टाफ) से बोले कि एक बार जच्चा-बच्चा को देख लीजिए, लेकिन किसी ने भी बात नहीं सुनी.
अंबर कहती हैं कि ‘रात को करीब दो बज चुके थे, मेरे भाई कई लोगों को कॉल किए, फिर एक डॉक्टर की कॉल के बाद मेरी भाभी को जनरल वार्ड में ले जाया गया, जहां पर दूर से डॉक्टर साफ-सफाई के लिए बता रही थी, हम अपने हाथ से सफाई कर रहे थे, लगातार सभी लोग चिल्ला रही थी, ये सब जमाती हैं, कोरोना फैलाने वाले हैं, जाओ यहां से.’
उसके बाद जब हम वहां से बाहर निकले तो कोई एंबुलेंस नहीं मिली, सभी यही कह रहे थे कि रेफर पेपर या डिस्चार्ज पेपर दिखाओ, डॉक्टर बोल रही थी कि जब हमने एडमिट ही नहीं किया तो पेपर कैसे दें. किसी तरह एक प्राइवेट एंबुलेंस राजी हुआ, उसने भी मदनपुर के बॉर्डर पर ही हमें छोड़ दिया, उसके बाद से भाभी को बाइक से लेकर आना पड़ा. अंबर कहती हैं कि, ‘अभी तो जच्चा-बच्चा दोनों ठीक है लेकिन अगर उन्हें कुछ हो जाता तो इसका जिम्मेदार कौन होता? क्या सरकार जिम्मेदारी लेती?’
दूसरा मामला बजरडीहा का है, जहां पर हमना नाम की एक महिला को मंगलवार (7अप्रैल) को प्रसव पीड़ा हुई. घरवालों ने एंबुलेंस को कॉल किया, करीब 6 घंटे के बाद एंबुलेंस आई.
हमना के मामू मोहम्मद शोएब बताते हैं कि, ‘हम लोगों ने सबसे पहले घर के बाहर पहरा दे रहे पुलिस वालों से कहा कि, ‘डिलीवरी के लिए अस्पताल लेकर जाना है, एंबुलेंस चाहिए, पहले तो पुलिस वालों ने अनसुना कर दिया, कई बार मिन्नतें करने के बाद एंबुलेंस आई, जिसमें पेशेंट के साथ एक महिला को जाने की परमिशन मिली, किसी भी पुरुष को जाने नहीं दिया गया. पेशेंट हमना के साथ उसकी सास रज़िया सुल्ताना गई.
रज़िया सुल्ताना बताती है कि, ‘हम लोगों को सबसे पहले शिवपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, वहां पर हम लोग कई घंटे बैठे रहे पर किसी ने हमसे बात नहीं की, लोग कह रहे थे कि ‘ये मुस्लिम हैं जमाती हैं, कोरोना फैलाने वाली हैं, इनसे दूर रहो.’
वहां पर बहू का कोरोना की जांच हुई. रातभर बीत जाने के बाद कहा गया कि केस सिज़ीरियन है, यहां सुविधा नहीं है.’ वहां पर कोई इलाज नहीं हुआ, मेरी बहू को कबीरचौरा में रेफर कर दिया गया.’
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ये बताते हुए 52 साल की रज़िया सुल्ताना की आंखों से आंसू निकल रहे थे. अपने आंसुओं को पोछते हुए रज़िया कहती हैं, ‘दिनभर कबीरचौरा में रखने के बाद ये कहकर बीएचयू भेज दिया गया कि, ‘यहां आईसीयू की सुविधा नहीं है.’
महिला आगे बताती हैं, ‘जब तक हम लोग बीएचयू पहुंचे, तब तक लगभग 24 घंटे बीत चुके थे. बीएचयू में हम लोगों से ये कहा जा रहा था कि जब तक आपकी कोरोना की रिपोर्ट नहीं मिल जाती तब तक आपको हाथ नहीं लगा सकते.’
रज़िया कहती हैं, ‘मेरी बहू हमना दर्द से तड़प रही थी, मैं लोगों से मिन्नतें कर रही थी. मेरी बहू दर्द से छटपटाते हुए कह रही थी, ‘मुझे बताया गया है कि तुम निगेटिव हो, पर रिपोर्ट हमें नहीं दी गयी, लेकिन अस्पताल वाले रिपोर्ट लेने की ज़िद पर अड़े रहे. अपनी बहू की बिगड़ती हालत देख हम प्राइवेट नर्सिंग होम में चले गए.’
सीएमओ और एसपी की फटकार
सामाजिक कार्यकर्ता अतीक अंसारी बताते हैं कि, ‘मुझे इस बात की जानकरी मिली तो मैंने उन लोगों से कहा कि वो लोग पहले बीएचयू जाएं, उसके बाद मैंने एसपी सिटी को फोन किया. उन्होंने इसे गम्भीरता से लिया. तुरंत सीएमओ साहब को फोन किया. इधर मैंने सीओ कैंट को मामले की जानकारी दी. उन्होंने भी सीएमओ साहब से कहा. सीएमओ साहब ने तुरंत बीएचयू फोन किया. हिदायतें दीं कि तुरंत लैब से उस महिला की रिपोर्ट निकालें और इलाज करें. रात लगभग दो बजे महिला की नॉर्मल डिलीवरी हुई.
मदनपुर वाले मामले को लेकर बीएचयू के पीआरओ डॉ. राजेश सिंह से बात करने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया. एक दैनिक अखबार ने उनके हवाले से लिखा है, ‘नर्स व डॉक्टरों ने सहयोग किया. लेबर रूम में महिला को अटेंड किया गया. डॉक्टरों ने भी बच्चे की सेहत जांची. नार्मल डिलीवरी का केस था इसलिए प्रसूता स्वयं भर्ती नहीं होना चाहती थी.’ लेकिन जब इस मामले को लेकर वाराणसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) से बात की गई तो उन्होंने मदनपुर वाले केस को लेकर कहा, ‘उन्हें इस केस के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जबकि बजरडीहा वाले मामले को लेकर उन्होंने कहा, ‘बीएचयू अस्पताल वालों को एडमिट करके डिलीवरी और इलाज करना चाहिए था.’
(लेखिका वाराणसी से स्वतंत्र पत्रकार हैं)
घटना सही है पर जितना जहर डालने की कोशिश किए हैं उतना नहीं। अभी लगभग हर जगह से ऐसी रिपोर्ट आ रहीं हैं (like bihar bangal) आपकी नजर सिर्फ वाराणसी तक ही सीमित है या फिर आप अलग एंगल देना चाहते हो।अभी हर डॉक्टर सावधानी बरतने की कोशिश करते हैं hotspot एरिया से आए लोगों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है इसके लिए किसी डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराना गलत है। जिस डॉक्टर ka नाम लिए है कल को उस के साथ कोई अप्रिय घटना होती है तो आप जिम्मेदार होगे सिर्फ आप ।
इस जहर भरी reporting को भी याद रखा जायेगा! ??