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Friday, 29 August, 2025
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पंजाब के बाढ़ प्रभावित गांवों से लोगों को निकालने के लिए समन्वित अभियान

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चंडीगढ़, 29 अगस्त (भाषा) हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश के कारण सतलुज, ब्यास और रावी नदियों तथा नालों में जलस्तर बढ़ने के बाद पंजाब के कई इलाकों में भी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई और फंसे लोगों को राहत पहुंचाने के लिए शुक्रवार को विभिन्न एजेंसियों ने समन्वय के साथ अभियान शुरू किया।

अधिकारियों ने बताया कि नदी के किनारे बसे निचले इलाकों के गांव जलमग्न हो गए हैं और सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार को प्रभावित जिलों के अधिकारियों को राहत और बचाव कार्य तेज़ करने के निर्देश दिए। स्थिति का जायजा लेने के लिए उनका चंडीगढ़ में एक उच्चस्तरीय बैठक करने का भी कार्यक्रम है।

कई इलाकों में स्थिति गंभीर बनी हुई है, जहां रात भर हुई बारिश ने परेशानी बढ़ गर्द है। चंडीगढ़ में भी रात में भारी बारिश हुई।

अमृतसर की उपायुक्त साक्षी साहनी ने बताया कि वे जलमग्न गांवों में फंसे लोगों तक नावों से पहुंच रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि लोगों को लगातार सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और जो घर छोड़ने को तैयार नहीं है उन्हें नावों के जरिये जरूरी सामान की आपूर्ति की जा रही है।

अमृतसर जिला प्रशासन बचाव के लिए विशेष वाहनों का इस्तेमाल कर रहा है, जो पानी और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में चल सकते हैं। प्रशासन रामदास क्षेत्र में फंसे ग्रामीणों को निकालने के लिए नावों का उपयोग कर रहा है।

अधिकारियों के मुताबिक बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित पठानकोट, गुरदासपुर, फाजिल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, होशियारपुर और अमृतसर जिले हैं। उन्होंने बताया कि भारी बारिश के कारण शुक्रवार को पटियाला में भी बाढ़ की चेतावनी जारी की गई।

पटियाला जिला प्रशासन ने घग्गर नदी के जलग्रहण क्षेत्र में भारी वर्षा और चंडीगढ़ में सुखना झील के द्वार खोल दिए जाने के बाद नदी के किनारे बसे कई निचले गांवों के लिए ‘हाई अलर्ट’ जारी किया है।

मोहाली की उपायुक्त कोमल मित्तल ने शुक्रवार को घग्गर नदी के तिवाना तटबंध का दौरा किया और निवासियों को आश्वासन दिया कि जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।

मित्तल ने बताया कि घग्गर नदी का जलस्तर शुक्रवार सुबह आठ बजे 70,000 क्यूसेक को पार कर गया था, लेकिन अपराह्न 12.30 बजे तक यह घटकर 35,000 क्यूसेक रह गया।

उन्होंने कहा कि तिवाना, मुबारिकपुर और बकरपुर सहित सभी संवेदनशील स्थानों पर जिला प्रशासन की टीमें निगरानी कर रही हैं।

इस बीच, गुरदासपुर जिला प्रशासन ने डेरा बाबा नानक में प्रभावित लोगों तक दवाइयां, सूखा राशन और पानी की बोतलें सहित राहत सामग्री पहुंचाने के लिए ड्रोन की सेवा ली है।

अधिकारियों के मुताबिक विभिन्न केन्द्रीय एजेंसियां ​​पिछले कुछ दिनों से राज्य प्राधिकारियों के साथ समन्वय में बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों को निकालने के लिए प्रयास कर रही हैं।

उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन के अनुरोध पर सेना, सीमा सुरक्षा बल, वायु सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने त्वरित कार्रवाई की और बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ ग्रस्त इलाकों से निकाले गए लोगों को राहत शिविरों में भेजा जा रहा है, जहां भोजन, दवाइयां और अन्य राहत सामग्री की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।

सेना की टुकड़ियां भी बचाव अभियान में सहयोग कर रही हैं। गत बुधवार से सेना की पैंथर डिवीजन के जवान बाढ़ प्रभावित रामदास-अजनाला क्षेत्र में बचाव और राहत अभियान चला रहे हैं।

सेना ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बताया, ‘‘40 से अधिक जलमग्न गांवों में सैनिक लगातार बचाव और राहत अभियान चला रहे हैं, परिवारों को निकाल रहे हैं, चिकित्सा सहायता पहुंचा रहे हैं, भोजन और आवश्यक वस्तुएं वितरित कर रहे हैं, तथा सामान्य स्थिति बहाल करने में नागरिक अधिकारियों की सहायता कर रहे हैं।’’

सेना की गोल्डन एरो डिवीजन के सैनिक भी बाढ़ प्रभावित गांवों में इसी तरह के काम कर रहे थे।

फिरोजपुर जिले में बाढ़ की स्थिति अब भी गंभीर है, लगभग 16,000 एकड़ फसल जलमग्न हो गई है और 62 गांव बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों में फंसे 2,500 से अधिक निवासियों को जिला प्रशासन द्वारा अब तक बचाया गया है, जबकि विस्थापित परिवारों को आश्रय देने के लिए 13 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं।

पंजाब में होशियारपुर के मुकेरियां उपमंडल के निवासी ब्यास नदी की सहायक नदी चक्की खड्ड के उफान के खतरे का सामना कर रहे हैं और उन्होंने अधिकारियों से शुक्रवार को आग्रह किया कि वे और अधिक नुकसान को रोकने के लिए तुरन्त दरारों को बंद करें।

इन निवासियों की चिंताएं बढ़ गई हैं क्योंकि ब्यास नदी पर स्थित पौंग बांध में पानी का स्तर खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है।

अधिकारियों के अनुसार, शुक्रवार सुबह बांध का जलस्तर 1,391.98 फुट दर्ज किया गया।

गत 24 अगस्त को ब्यास नदी के तटबंधों में कई दरारें आने से होशियारपुर में निचले इलाके जलमग्न हो गए थे।

मेहताबपुर गांव के सरपंच मनजिंदर सिंह ने कहा कि बाढ़ के पानी ने लगभग 2,200 एकड़ कृषि भूमि में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाया है।

उन्होंने कहा कि शुक्रवार सुबह गांव में बाढ़ का पानी नहीं था, लेकिन ब्यास नदी में जलस्तर बढ़ने लगा, जिससे आशंका बढ़ गई कि यह गांव तक पहुंच सकता है।

रविवार को मेहताबपुर के निकट धुस्सी बांध में आई दो दरारों का जिक्र करते हुए सिंह ने प्रशासन से आग्रह किया कि गांव और उसकी आबादी की सुरक्षा के लिए उन्हें जल्द से जल्द बंद किया जाए।

टांडा और मुकेरियां उपमंडलों के कई गांवों की कृषि भूमि पिछले कई दिन से जलमग्न है।

होशियारपुर की उपायुक्त आशिका जैन ने बृहस्पतिवार को टांडा और दसूहा उपमंडलों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर राहत कार्यों की समीक्षा की और लोगों को आश्वासन दिया कि प्रशासन प्रभावित परिवारों को समय पर सहायता प्रदान करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है।

जैन ने कहा कि जिला प्रशासन के सभी विभाग राहत एवं बचाव कार्यों के लिए समन्वय से काम कर रहे हैं और उन्होंने प्रभावित परिवारों को आश्वासन दिया कि उन्हें हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी।

इस बीच, विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने शुक्रवार को कहा कि पंजाब कांग्रेस के विधायकों ने मुख्यमंत्री बाढ़ राहत कोष में एक महीने का वेतन देने का फैसला किया है।

मुख्यमंत्री मान ने भी बृहस्पतिवार को कहा था कि उनकी पूरी कैबिनेट, सभी आप विधायकों और उन्होंने बाढ़ राहत प्रयासों के लिए अपना एक महीने का वेतन दान करने का फैसला किया है।

विभिन्न दलों के नेताओं ने शुक्रवार को कई जिलों का दौरा किया और बाढ़ प्रभावित लोगों से बातचीत की।

भाषा

धीरज अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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