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Thursday, 21 November, 2024
होमएजुकेशनअब दीक्षांत समारोह में भारतीय छात्र पहनेंगे 'भारतीय हैंडलूम' से बने पारंपरिक पोशाक

अब दीक्षांत समारोह में भारतीय छात्र पहनेंगे ‘भारतीय हैंडलूम’ से बने पारंपरिक पोशाक

यूजीसी ने सभी सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों को एक सर्कुलर जारी किया है. जिसमें उन्हें अपने दीक्षांत समारोह के दौरान पारंपरिक पोशाक पहनने को कहा है.

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नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी एक सर्कुलर के अनुसार, भारतीय विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में छात्रों द्वारा पहना जाने वाला पश्चिमी चोगा जल्द ही अतीत की बात होगी. मोदी सरकार चाहती है कि दीक्षांत समारोह में अपनी डिग्री प्राप्त करने गए छात्र पारंपरिक पोशाकों में जाएं.

इस महीने की शुरुआत में जारी किए गए यूजीसी के सर्कुलर में सभी विश्वविद्यालयों को पारंपरिक होने को कहा गया है.

आयोग ने कहा, ‘हैंडलूम वस्त्रों का उपयोग करने से भारतीयता का गौरव प्राप्त होगा.’ आयोग ने इस पर विश्वविद्यालयों से ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ भी मांगी है. यह पत्र यूजीसी के अधीन सभी निजी और सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को भेजा गया है.

यूजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बदलते समय के साथ, सब कुछ बदल जाता है. दीक्षांत समारोह के दौरान भारतीय विश्वविद्यालयों में अंग्रेजों के पहनावे का प्रचलन है.’

अधिकारी ने कहा कि यह सही समय है कि हम उन परंपराओं को बदले और इसे स्थानीय बनाए.

दीक्षांत समारोह में पहने जाने वाला पश्चिमी चोगा, काला गाउन और टोपी पहनना भारतीय विश्वविद्यालयों में अनिवार्य नहीं था, लेकिन कुछ संस्थानों में इस प्रचलन को आगे बढ़ाया था.


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मकसद दीक्षांत समारोह के वेशभूषा को क्षेत्रीय बनाना है

यूजीसी के अधिकारी ने आगे बताया कि यह विचार दीक्षांत समारोह को और अधिक क्षेत्रीय बनाने के लिए है.

जैसे पंजाब में महिलाएं पारंपरिक सलवार-कुर्ते पहन सकती हैं, केरल और तमिलनाडु के लोग अपनी पारंपरिक साड़ी पहनते हैं और हिमाचल प्रदेश में छात्र पारंपरिक टोपी और क्षेत्र की पोशाक पहन सकते हैं.

एक महीने पहले हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हमीरपुर के दीक्षांत समारोह के दौरान छात्रों ने पारंपरिक पोशाक पहन रखी थी.

पिछले मोदी सरकार ने दीक्षांत समारोह में देशी परिधानों को भी बढ़ावा दिया

पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी दीक्षांत समारोह के दौरान पारंपरिक भारतीय परिधान पहनने के विचार को बढ़ावा दिया था और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जैसे कुछ संस्थानों ने पिछले साल इसे लागू भी किया था.

पिछले साल आईआईटी रुड़की, बॉम्बे और कानपुर पारंपरिक भारतीय पोशाक महिलाओं के लिए साड़ी और पुरुषों के लिए कुर्ता-पायजामा को अपने यहां के दीक्षांत समारोह का हिस्सा बनाए थे. यहां तक ​​कि जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने इस वर्ष की शुरुआत में अपना दीक्षांत समारोह आयोजित किया, तो कई वर्षों के अंतराल के बाद छात्रों को साड़ी और कुर्ते में देखा गया.

हालांकि, सभी विश्वविद्यालय भारतीय ड्रेस कोड का पालन नहीं कर रहे थे. लेकिन, अब यूजीसी के सर्कुलर के बाद सबको इसका पालन करना होगा.


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भाजपा के अलावा, कांग्रेस भी दीक्षांत समारोह में पश्चिमी वेशभूषा के खिलाफ थी.

2010 में यूपीए के मंत्री जयराम रमेश ने पश्चिमी दीक्षांत समारोह को ‘उपनिवेशवाद का बर्बर स्मृति चिन्ह’ कहा था. भारतीय वन प्रबंधन संस्थान के 7 वें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा, ‘मैं आजादी के 60 वर्षों के बाद भी यह पता नहीं लगा पाया कि हम इन ‘उपनिवेशवाद के बर्बर स्मृति चिन्हों’ तक खुद को क्यों सीमित किए हुए हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्ल्कि करें)

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