नई दिल्ली: सरकार फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट के नियमों में बदलाव कर रही है. गृह मंत्रालय ने सोमवार को धर्म परिवर्तन के जरिये होने वाली सांप्रदायिकता को रोकने के लिए सरकार ने कुछ सख्त कदम उठाए हैं. गृह मंत्रालय ने कहा कि एफसीआरए के तहत पंजीकृत संस्थाओं और वहां काम कर रहे प्रत्येक कार्यवाहक सदस्यों को यह घोषणा करनी होगी कि वह किसी भी धार्मिक परिवर्तन के कार्य या सांप्रदायिक वैमनस्यता में शामिल नहीं है. उन्हें यह घोषणा एक हलफनामा दाखिल कर करना होगा.
यही नहीं गृह मंत्रालय द्वारा बदले गए नए नियमों के अनुसार, उन्हें धार्मिक धर्मांतरण के लिए अभियुक्त या दोषी नहीं ठहराया गया है यह भी घोषणा करनी होगी. यही नहीं एफसीआरए के (दूसरे संशोधन) में कहा गया है कि सभी कर्मचारियों को 10 रुपये के नॉन ज्यूडीशियल स्टैंप पेपर पर नोटरी द्वारा प्रमाणित करा कर इसे सब्मिट करना होगा. 2011 के नियम के अनुसार सिर्फ शीर्ष अधिकारियों को गृह मंत्रालय को पूर्व सूचना देकर हलफनामा जमा करना होता था.
यही नहीं इस अधिसूचना में मंत्रालय ने विदेशी चंदा नियमन कानून में भी बदलान किए जाने की घोषणा की है. इसके अलावा फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन 2011 में जो बदलाव किया गया है उसके तहत नियम 6ए में भी बदलाव किया गया है. जिसके अंतर्गत एक लाख रुपये तक के निज़ी उपहार प्राप्त करने वालों के लिए सरकार और मंत्रालय को इसकी सूचना देना अनिवार्य होगा. बता दें कि अभी तक इस तरह का डिक्लीरियेशन चीफ फंक्शनरी को सेक्शन 12(4) के अंतर्गत पेश करना होता था.
वहीं नियम 7 में भी कुछ संशोधन किए गए हैं. जिसके तहत अगर किसी व्यक्ति को विदेश यात्रा के दौरान किसी को आपात स्थिति में इलाज की जरूरत होती है और वह विदेशी मदद प्राप्त करता है तो उसे इसकी जानकारी केंद्र सरकार को एक महीने के भीतर देनी होगी जो पहले 60 दिन यानी दो महीने थी. सूचना में मदद का स्रोत, भारतीय राशि और उसका मूल्य के साथ किस तरह उसका उपयोग किया गया यह जानकारी भी केंद्र सरकार को देनी होगी.
बता दें कि इससे पहले भी मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी विदेशी चंदा प्राप्त करने और उसका उपयोग करने को लेकर नियमों को सख्त बनाया था जिसके तहत कई बड़े गैर सरकारी संस्थान इसके दायरे में आए थे और 18000 गैर सरकारी संस्थानों पर इसकी गाज गिरी थी और विदेशी चंदा हासिल किए जाने की अनुमति समाप्त कर दी गई थी.