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Monday, 18 November, 2024
होमदेशBBC डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद गरमाया, JNU-DU और जामिया में विरोध; आंबेडकर में काटी गई बिजली

BBC डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद गरमाया, JNU-DU और जामिया में विरोध; आंबेडकर में काटी गई बिजली

डीयू के फैकल्टी ऑफ आर्ट्स के पास प्रदर्शनकारी छात्रों को हिरासत में लिया गया है. पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू कर दी है.

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नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर देश भर में कईं विश्वविद्यालयों में छात्र संगठन लगातार हंगामा कर रहे हैं.

आंबेडकर यूनिवर्सिटी में स्क्रीनिंग से पहले प्रशासन ने बिजली काट दी, वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में धारा-144 लागू कर दी गई है.

जेएनयू में एसएफआई ने एबीवीपी के खिलाफ विरोध किया और पथराव की शिकायत की. मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने भी स्क्रीनिंग की अनुमति देने से इनकार किया है. हैदराबाद यूनिवर्सिटी में डॉक्यूमेंट्री के विरोध में ‘द कश्मीर फाइल्स’ की स्क्रीनिंग की गई. जामिया यूनिवर्सिटी में 13 छात्रों को हिरासत में लिया गया. केरल में कांग्रेस ने स्क्रीनिंग का आयोजन किया. कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में भी छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं.

डीयू के फैकल्टी ऑफ आर्ट्स के पास पुलिस ने कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई के प्रदर्शनकारी छात्रों और सदस्यों को हिरासत में लिया है. इस दौरान दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू कर दी है.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) कैंपस में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की युवा शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएमएफ), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आईसा) के मेंबर्स ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और इस दौरान धार्मिक नारे लगाए गए.

जेएनयू के स्टूडेंट्स ने दावा किया कि 2002 के गुजरात दंगों पर विवादास्पद बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के दौरान एबीवीपी की तरफ से उन पर पथराव किया गया.

वहीं, वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई ने आंबेडकर यूनिवर्सिटी में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान किया था. छात्र प्रोजेक्टर लेकर आए थे, लेकिन प्रशासन ने बिजली काट दी और इंटरनेट बंद कर दिया जिसकी वजह से डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रोकनी पड़ी.

इस दौरान छात्र संगठन आईसा ने आंबेडकर यूनिवर्सिटी के बाहर प्रदर्शन किया.

जेएनयू में मास्टर्स (एम.ए) कर रहे छात्र अभिषेक ने दिप्रिंट को बताया, ‘‘एबीवीपी के लोग जितना जी चाहे रोक लगा लें. वो सच्चाई को नहीं बदल सकते. हमारे साथियों पर हमला करके वो हमें कमज़ोर नहीं कर पाएंगे.’’

आईसा की जेएनयू इकाई के अध्यक्ष कासिम ने कहा, ‘‘एबीवीपी के गुंडों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के लिए यहां इकट्ठा हुए छात्रों पर पथराव किया. यह गुंडागर्दी है.’’

वहीं, जामिया के छात्रों का कहना है कि ‘हमारी जो मर्ज़ी होगी, हम वो देखेंगे.’

बता दें कि केंद्र सरकार ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ को प्रौपेगेंडा और दुष्प्रचार करने वाली करार करते हुए इसके प्रदर्शन पर रोक लगा दी है.


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विश्वविद्यालयों में संघर्ष जारी

टाटा ने स्क्रीनिंग की अनुमति देने से मना करते हुए छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है.

वहीं, टाटा इंस्टीट्यूट ने कहा, ‘‘यह हमारे संज्ञान में आया है कि कुछ छात्र बीबीसी डॉक्यूमेंट्री दिखाने की योजना बना रहे हैं. संस्थान ने इसकी स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दी है. यह कैंपस के माहौल को खराब कर सकता है. इसके खिलाफ किसी भी कार्रवाई से सख्ती से निपटा जाएगा.’’

डीयू प्रशासन ने दिन में छात्रों द्वारा स्क्रीनिंग की घोषणा के बाद कार्रवाई के लिए दिल्ली पुलिस को इत्तिला किया था.

दरअसल, ‘भीम आर्मी स्टूडेंट फेडरेशन’ ने कहा था कि वह डीयू के नॉर्थ कैंपस में आर्ट्स फैकल्टी के बाहर शाम पांच बजे इसकी स्क्रीनिंग करेगा.

कांग्रेस से संबद्ध नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने नॉर्थ कैंपस में शाम चार बजे और एसएफआई ने आबेंडकर यूनिवर्सिटी कश्मीरी गेट कैंपस में दोपहर एक बजे स्क्रीनिंग की घोषणा की थी.

इस बीच, दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) प्रॉक्टर रजनी अब्बी ने कहा, हम बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दे सकते, प्रशासन से अनुमति नहीं मांगी गई.

प्रॉक्टर का कहना है कि उन्होंने मामले पर दिल्ली पुलिस को लिखा है, वे कार्रवाई करेंगे.


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‘आज की पीढ़ी को इतिहास जानना जरूरी’

इस बीच, जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने फैकल्टी मेंबर्स के अनुरोध पर शुक्रवार को कक्षाएं स्थगित की गईं.

यूनिवर्सिटी ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा था कि डिपार्टमेंट, केंद्र और स्कूल सहित यूनिवर्सिटी के सभी ऑफिस सामान्य तरीके से काम करेंगे.

जामिया के एक पूर्व छात्र आशीष सिंह ने दिप्रिंट से कहा, ‘‘सभी के पास कुछ भी देखने के अपने अधिकार हैं. मुझे जो देखना होगा मैं देखूंगा. किसी एक पक्ष की तरफ झुकना और बैन करना गलत है. आज की पीढ़ी के लिए कल का इतिहास जानना ज़रूरी है.’’

बयान के मुताबिक, जामिया मिल्लिया इस्लामिया की वीसी नज़्मा अख्तर ने फैकल्टी मेंबर्स और स्टूडेंट्स के अनुरोध पर इस बात की मंज़ूरी प्रदान की है कि यूनिवर्सिटी के स्कूलों सहित सभी कक्षाएं 27 जनवरी, शुक्रवार को निलंबित रहेंगी.

वहीं, जामिया से मास्टर्स (एम.ए) की सेकंड ईयर की छात्र समीरा ने कहा, ‘‘इस तरह सरकार हमारी आवाज़ को नहीं दबा सकती. हम आज भी लड़ रहे हैं और कल भी लड़ेंगे.’’

दिल्ली पुलिस ने बुधवार को कहा था कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कैंपस में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दी. इसलिए हंगामा करने के आरोप में कुल 13 छात्रों को हिरासत में लिया गया. हालांकि, बाद में सभी को रिहा कर दिया गया था.

पुलिस ने कहा, ‘‘यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस को सूचित किया कि कुछ स्टूडेंट्स सड़कों पर हंगामा कर रहे थे और इसलिए इलाके में शांति सुनिश्चित करने के वास्ते शाम चार बजे के आसपास कुल 13 छात्रों को हिरासत में लिया गया.’’

दरअसल, एसएफआई ने मंगलवार को डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर एक पोस्टर जारी किया था. वहीं, प्रशासन ने आयोजकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी चेतावनी दी थी.

छात्रों की ओर से मंगलवार को शाम छह बजे कैंपस में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की घोषणा के बाद यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर के अनुरोध पर कार्रवाई शुरू की गई थी.


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डॉक्यूमेंट्री के सामने फिल्म का प्रदर्शन

हैदराबाद यूनिवर्सिटी में गुरुवार को एसएफआई ने भी इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की थी.

एसएफआई ने सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करते हुए कहा, ‘‘एसएफआई के आह्वान पर गणतंत्र दिवस पर आयोजित डॉक्यूमेंट्री की सफल स्क्रीनिंग की झलकियां. इसे देखने 400 से अधिक स्टूडेंट्स आए, जिन्होंने दुष्प्रचार और अशांति पैदा करने के एबीवीपी के प्रयासों को विफल कर दिया.’’

इसके जवाब में एबीवीपी के स्टूडेंट्स ने गुरुवार को कैंपस में ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म का प्रदर्शन किया गया.

बता दें कि विवेक अग्निहोत्री द्वारा लिखित और निर्देशित यह फिल्म पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी हिंदुओं की हत्याओं के बाद तत्कालीन राज्य से कश्मीरी पंडितों के पलायन को दर्शाती है.

वहीं, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) ने भी गुरुवार को विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ का प्रदर्शन किया था.

केपीसीसी के महासचिव जी एस बाबू ने कहा कि गुजरात में हुए 2002 के गोधरा दंगों पर आधारित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग मुख्यालय में अपने कर्मचारियों और पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए की गई.

जी एस बाबू ने कहा, ‘‘हमें आम जनता से डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के लिए पॉजिटिव रिस्पांस मिला है. इसे देखने के लिए काफी संख्या में लोग आए थे. हम इसे राज्य में विभिन्न स्थानों पर दिखाएंगे.’’

बता दें कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने दो हिस्सों वाले इस डॉक्यूमेंट्री को ‘‘दुष्प्रचार का एक हिस्सा’’ करार देते हुए सिरे से खारिज किया है. मंत्रालय का कहना है कि इसमें निष्पक्षता की कमी, पूर्वाग्रह और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट रूप से झलकती है.

वहीं, बीबीसी ने भारत सरकार की आलोचना को खारिज करते हुए कहा है कि गंभीर शोध के बाद इसे तैयार किया गया है.

भारत ने डॉक्यूमेंट्री का लिंक साझा करने वाले कई यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को 21 जनवरी को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए थे.

गौरतलब है कि बीबीसी ने ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ शीर्षक से दो हिस्सों में एक नई सीरीज़ तैयार की है. बीबीसी का दावा है कि यह सीरीज़ गुजरात में 2002 में हुए दंगों के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल करती है. गुजरात दंगे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे.


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