नई दिल्ली: लद्दाख को लेकर भारत-चीन के बीच जारी विवाद के बीच भारत ने इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ किसी भी बातचीत से इंकार किया है. सरकार के सूत्र ने यह जानकारी दी है.
सरकार के सूत्र के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच आखिरी बातचीत 4 अप्रैल 2020 को मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर हुई थी. सूत्र ने बताया है कि कल भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी यह स्पष्ट किया है कि हम सीधे तौर पर स्थापित तंत्र और कूटनीतिक संपर्कों के माध्यम से चीन के संपर्क में हैं.
सूत्र के अनुसार यह अमेरिकी राष्ट्रपति के इस दावे के विपरीत है कि लद्दाख मुद्दे पर ‘पीएम मोदी अच्छे मूड में नहीं हैं’ जबकि ‘उनके बीच अंतिम बातचीत 4 अप्रैल, 2020 को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के विषय पर हुई थी. कल, विदेश मंत्रालय ने भी स्पष्ट कर दिया था कि हम सीधे तौर पर स्थापित तंत्र और कूटनीतिक संपर्कों के माध्यम से चीन के संपर्क में हैं.’
The Government’s silence about the border situation with China is fueling massive speculation and uncertainty at a time of crisis.
GOI must come clean and tell India exactly what’s happening.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 29, 2020
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि चीन के साथ सीमा के हालात के बारे में सरकार की चुप्पी संकट के समय भारी अटकलों और अनिश्चितता को हवा दे रही है. भारत सरकार सामने आए और देश को बताए कि वाकई क्या हो रहा है.
गांधी ने कहा, ‘ सरकार को सामने आकर स्पष्ट करना चाहिए और जो हो रहा है उसके बारे में भारत को बताना चाहिए.’
कुछ दिनों पहले भी कांग्रेस नेता ने कहा था कि भारत-चीन सीमा पर मौजूदा गतिरोध को लेकर पारदर्शिता की जरूरत है.
ट्रंप ने कहा है चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर ‘अच्छे मूड’ में नहीं हैं मोदी
वहीं इससे पहले भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर मध्यस्थता करने की पेशकश दोहराते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की जो दोनों देशों के बीच ‘बड़े टकराव’ को लेकर ‘अच्छे मूड’ में नहीं है.
व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय में बृहस्पतिवार को पत्रकारों से बातचीत में ट्रम्प ने कहा कि भारत और चीन के बीच एक ‘बड़ा टकराव’ चल रहा है.
उन्होंने कहा, ‘भारत में मुझे पसंद किया जाता है. मुझे लगता है कि इस देश में मीडिया मुझे जितना पसंद करता है उससे कहीं अधिक पसंद मुझे भारत में किया जाता है और मैं मोदी को पसंद करता हूं. मैं आपके प्रधानमंत्री को बहुत पसंद करता हूं. वह बहुत ही सज्जन व्यक्ति हैं.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह भारत और चीन के बीच सीमा पर बने हालात से चिंतित हैं, इस पर राष्ट्रपति ने कहा, ‘भारत और चीन के बीच बड़ा टकराव है. दो देश और प्रत्येक की आबादी 1.4 अरब. दो देश जिनके पास बहुत शक्तिशाली सेनाएं हैं. भारत खुश नहीं है और संभवत: चीन भी खुश नहीं है.’
ट्रम्प ने कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की. चीन के साथ जो भी चल रहा है वह उससे खुश नहीं हैं.’
इससे एक दिन पहले उन्होंने भारत और चीन के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी.
ट्रम्प ने बुधवार को ट्वीट किया कि वह दोनों देशों के बीच ‘मध्यस्थता करने के लिए तैयार, इच्छुक और सक्षम’ हैं.
इस ट्वीट पर एक सवाल के जवाब में ट्रम्प ने अपनी पेशकश दोहराते हुए कहा कि अगर मदद के लिए बुलाया गया तो मैं मध्यस्थता करुंगा. अगर उन्हें लगता है कि इससे मदद मिलेगी तो मैं यह करुंगा.
पूर्वी लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी रहने के बीच भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि सीमा पर तनाव कम करने के लिये चीनी पक्ष के साथ बातचीत चल रही है. भारत की इस सधी हुई प्रतिक्रिया को इस मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश को एक तरह से अस्वीकार करने के रूप में देखा जा रहा है .
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने आनलाइन माध्यम से पूछे गए सवालों के जवाब में कहा, ‘हम इसके शांतिपूर्ण ढंग से समाधान के लिए चीनी पक्ष के साथ बात कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्षों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में उत्पन्न हो सकने वाली स्थितियों का वार्ता के जरिए शांतिपूर्ण समाधान करने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तरों पर तंत्र स्थापित किए हैं और इन माध्यमों से चर्चा जारी रहती है.’
बहरहाल चीन के विदेश मंत्रालय ने ट्रम्प के ट्वीट पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. चीन के सरकारी ग्लोबल टाइम्स अखबार ने एक संपादकीय में कहा कि दोनों देशों को अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से ऐसी किसी मदद की आवश्यकता नहीं है.
इसमें कहा गया है, ‘यह हालिया विवाद चीन और भारत द्विपक्षीय रूप से हल कर सकते हैं. दोनों देशों को अमेरिका को लेकर सतर्क रहना चाहिए जो क्षेत्रीय शांति और व्यवस्था को खतरे में डालने के लिए हर मौके का फायदा उठाता है.’’
ट्रम्प ने मध्यस्थता की यह अप्रत्याशित पेशकश तब की जब चीन ने नरम रुख अपनाते हुए कहा कि भारत के साथ सीमा पर हालात ‘पूरी तरह स्थिर और नियंत्रण योग्य’ हैं.
बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बुधवार को कहा था कि चीन और भारत के पास सीमा से संबंधित अच्छा तंत्र और संचार माध्यम हैं और वे बातचीत तथा विचार-विमर्श के जरिए मुद्दों को सुलझाने में सक्षम हैं.
ट्रम्प ने पहले कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी जिसे नयी दिल्ली ने अस्वीकार कर दिया था.
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच पांच मई को झड़प हो गई और इसके बाद स्थानीय कमांडरों के बीच बैठक के बाद दोनों पक्षों में कुछ सहमति बन सकी. इस घटना में भारतीय और चीनी पक्ष के 100 सैनिक घायल हो गए थे . इस घटना पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी . नौ मई को उत्तरी सिक्किम में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी.
(न्यूज एजेंसी भाषा और एएनआई के इनपुट्स के साथ)