नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) अगली पीढ़ी के छह अपतटीय गश्ती जहाजों में से पहले पोत के निर्माण की शुरुआत मंगलवार को एक समारोह के साथ हुई। इसमें अत्याधुनिक मशीनरी और उन्नत तकनीकी प्रणालियां भी शामिल होंगी।
अधिकारियों ने बताया कि यह पहल भारतीय तटरक्षक की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने और तटीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए जारी प्रयासों में एक ‘महत्वपूर्ण मील का पत्थर’ है।
आईसीजी के ‘यार्ड 16401’ का समारोह मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई में आयोजित किया गया।
भारतीय तटरक्षक के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘5,000 समुद्री मील की रेंज और 117 मीटर की लंबाई के साथ, 11 अधिकारियों और 110 जवानों की क्षमता वाला यह जहाज 23 समुद्री मील की अधिकतम गति प्राप्त करने में सक्षम होगा।’’
आईसीजी ने कहा कि छह अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती जहाजों (एनजीओपीवी) के निर्माण के अनुबंध को 20 दिसंबर, 2023 को अंतिम रूप दिया गया था।
उसने कहा, ‘‘जहाज में अत्याधुनिक मशीनरी और उन्नत तकनीकी प्रणालियां भी होंगी, जिनमें एआई-आधारित पूर्वानुमानित रखरखाव प्रणाली, रिमोट पायलटेड ड्रोन, इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम (आईबीएस) और इंटीग्रेटेड प्लेटफ़ॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम (आईपीएमएस) शामिल हैं।’’
तटरक्षक ने कहा कि इसे सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप, एमडीएल द्वारा ‘खरीदें (भारतीय-आईडीडीएम) श्रेणी के तहत’ स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जा रहा है।
आईडीडीएम का अर्थ है ‘स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित’।
आईसीजी ने कहा, ‘‘यह परियोजना रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है और देश की रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।’’
भाषा
अमित पवनेश
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