नई दिल्ली : संविधान दिवस के 70वें सालगिरह के मौके पर संसद की संयुक्त सदन के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संबोधित किया.
संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा स्पीकर ने कहा कि हमें अधिकारों के अलावा संविधान में प्रदत्त कर्तव्यों के बारे में भी सोचना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए.
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कहा कि, ‘नागरिक अपने अधिकारों के साथ-साथ नागरिक कर्तव्यों का भी पालन करें.’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘संविधान को अपनाए हुए 70 साल हो गए. इस मौके पर सभी देशवासियों को बधाई.’
President Ram Nath Kovind addresses the Parliament: I convey my warm greetings on the occasion of 70th anniversary of the adoption of the ‘Constitution of India’, to all of you, and to all our fellow citizens in India and abroad. #ConstitutionDay pic.twitter.com/08eTc69ljz
— ANI (@ANI) November 26, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘कुछ दिन और अवसर ऐसे होते हैं जो हमारे अतीत के साथ हमारे संबंधों को मजबूती देते हैं. हमें बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं. उन्होंने 29 नवंबर के दिन को ऐतिहासिक बताया और कहा कि 70 साल पहले हमने विधिवत रूप से, एक नए रंग रूप के साथ संविधान को अंगीकार किया था.’
नरेंद्र मोदी ने संविधान निर्माताओं को याद किया और कहा कि उनके बिना संविधान बनना मुश्किल था. उन्होंने कहा, ‘राजेंद्र प्रसाद, डॉ अंबेडकर, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आजाद, सुचेता कृपलानी, जॉन मथाई, पुरुषोत्तम दास टंडन ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष योदगान देकर हमें ये विरासत दी है.’
उन्होंने कहा, ‘बाबा साहेब ने देश को याद दिलाया था कि भारत पहले से ही आजाद था न कि ये 1947 में आजाद हुआ. उन्होंने पूछा था कि हमें आजादी भी मिल गई, गणतंत्र भी हो गए क्या हम अपने अतीत से सबक ले सकते हैं. अगर आज वो होते तो बहुत खुश होते.’
मोदी ने कार्यपालिका, विधायिका औऱ न्यायपालिका को नमन किया और देशवासियों के योदगान को याद किया. उन्होंने कहा, संविधान दिवस हर्ष, उत्कर्ष और निष्कर्ष का मिला जुला स्वरुप है. हमारा संविधान हमारे लिए सबसे बड़ा और पवित्र ग्रंथ है. हमारा संविधान वैश्विक लोकतंत्र की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि है. यह न केवल अधिकारों के प्रति सजग रखता है बल्कि हमारे कर्तव्यों के प्रति जागरूक भी बनाता है.
Prime Minister Narendra Modi in Parliament: The Constitution of India highlights both rights and duties of citizens. This is a special aspect of our Constitution. Let us think about how we can fulfil the duties mentioned in our Constitution. #ConstitutionDay pic.twitter.com/SdHkHZWGpq
— ANI (@ANI) November 26, 2019
मोदी ने कहा, ‘संविधान को दो सरल शब्दों में नागरिक की अस्मिता और संपूर्ण भारत की अखंडता को अक्षुण्ण रखना है. संविधान हमें अधिकारों के साथ साथ कर्तव्यों से भी जोड़ता है.’
मोदी ने कहा, ‘बीते दशकों में हमने अधिकारों पर बल दिया जो काफी जरूरी था. क्योंकि एक बड़ा वर्ग अधिकारों से वंचित था. इस बड़े वर्ग को समता देना जरूरी था. लेकिन आज समय की मांग है कि एक नागरिक के तौर पर हम अपने अधिकारों के साथ साथ कर्तव्यों का भी निर्वहन करें. दोनों के बीच एक गहरा रिश्ता है. इस बारे में महात्मा गांधी ने अच्छे से बताया भी था. मोदी ने कहा कि कर्तव्यों की वकालत महात्मा गांधी भी कर चुके हैं.’
मोदी ने कहा, ‘जब भी हम जनता से संवाद करें तो वहां कर्तव्यों के बारे में बात करें. हमारे संविधान निर्माताओं ने जो सपना देखा था उसे हम पूरा करेंगे. संविधान निर्माताओं को मैं प्रणाम करता हूं.’
सरकार 26 नवंबर को संविधान दिवस के तौर पर मना रही है क्योंकि इसी दिन 1949 में संविधान को अंगीकृत किया गया था और बाद में 26 जनवरी, 1950 को यह लागू हुआ था जहां से भारत की एक गणतंत्र के रूप में शुरुआत हुई.