गाजियाबाद, 29 मई (भाषा) उत्तर प्रदेश और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार में सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने गाजियाबाद के नाहल गांव में छापेमारी के दौरान एक पुलिस कांस्टेबल की मौत के मद्देनजर निर्दोष ग्रामीणों के कथित उत्पीड़न पर बृहस्पतिवार को चिंता जताई।
रालोद के उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष कुंवर अय्यूब अली ने गाजियाबाद पुलिस आयुक्त जे. रवींद्र गौड़ को सौंपे ज्ञापन में इस बात पर निराशा व्यक्त की कि पुलिस, टीम पर जानलेवा हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के बहाने नाहल मसूरी गांव के निवासियों को ‘परेशान’ कर रही है।
यह हमला 25 मई को देर रात छापेमारी के दौरान हुआ था, जब गौतमबुद्ध नगर के फेज-3 थाने की एक पुलिस टीम चोरी के एक मामले में वांछित अपराधी की तलाश में नाहल गांव पहुंची थी।
कथित तौर पर सादे कपड़ों में आई टीम ने कार्रवाई से पहले स्थानीय पुलिस को सूचित नहीं किया, जिससे ग्रामीणों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई और ग्रामीणों ने उन्हें अपराधी समझकर हमला कर दिया।
इस दौरान हुई गोलीबारी में नोएडा पुलिस के 28 वर्षीय कांस्टेबल सौरभ कुमार देशवाल के सिर में गोली लग गई।
अधिवक्ता अली ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गांव के 50 प्रतिशत से अधिक परिवार गिरफ्तारी के डर से अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लेने के लिए आस-पास के गांवों में चले गए हैं।
उन्होंने मांग की कि कांस्टेबल की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए एक पुलिस टीम बनाई जाए।
इस बीच, पुलिस उपायुक्त (ग्रामीण) सुरेंद्रनाथ तिवारी ने कहा कि अब तक 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और सीसीटीवी फुटेज के जरिए करीब 50 अन्य की पहचान की गई है।
हालांकि, अधिकारी ने कहा कि जिस व्यक्ति पर गोली चलाने का आरोप है, उसकी अब तक पहचान नहीं हो पाई है।
तिवारी ने मनमाने ढंग से गिरफ़्तारी के दावों का खंडन करते हुए कहा, ‘पुलिस किसी भी निर्दोष व्यक्ति को गिरफ़्तार नहीं कर रही है। स्थानीय लोगों को बिना किसी डर के गांव में रहना चाहिए।’
भाषा सं जफर नोमान
नोमान
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