श्रीनगर: गुजरात से आने वाले कथित महाठग ‘डॉ.’ किरण जे. पटेल का ‘अधिकारियों जैसा रवैया’, सलीके से कपड़े पहनने की उसकी शैली, और भाजपा के ऊपरी हलकों के नेताओं के साथ उसके कथित संबंधों ने उसके द्वारा जम्मू-कश्मीर में खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के एक शीर्ष अधिकारी के रूप में पेश किए जाने के दौरान तबतक उसकी ख़ासी मदद की, जब तक – जैसा कि माना जा रहा है- नौकरशाही के बारे में उसके सीमित जानकारी ने उसका भांडा नहीं फोड़ दिया.
जैसा कि कुछ खुफिया सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, एक आईएएस और आईपीएस अधिकारी के बीच अंतर करने में उसकी नाकामयाबी ने उसके बारे में उभर रहे संदेह को पुख्ता कर दिया, और इस तरह से उसकी पोलपट्टी खोलने में मदद की.
खबरों में अनुसार, फिलहाल श्रीनगर की केंद्रीय जेल में बंद, पटेल पर धोखाधड़ी, जालसाजी और नकली वेश धारण करने (इमपर्सोनेशन) का आरोप लगाया गया है, मगर उसने अपनी तरफ से इन सभी आरोपों को ‘आधारहीन’ बताया है. इस बीच, किरण पटेल के खिलाफ गुजरात में दर्ज धोखाधड़ी के कम-से-कम तीन पुराने मामले भी सामने आए हैं, और पिछले एक सप्ताह के दौरान उसके खिलाफ एक नई प्राथमिकी भी दर्ज की गई है.
कथित तौर पर पटेल के साथ कश्मीर की यात्रा करने वाले गुजरात के दो व्यवसायियों- अमित हितेश पंड्या और जय सीतापारा – से भी पुलिस ने पूछताछ की है. इस बीच, अमित के पिता हितेश पंड्या ने इस घोटाले की ही वजह से पिछले शुक्रवार को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के कार्यालय में अतिरिक्त जनसंपर्क अधिकारी के अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
फिर भी, पिछले कई महीनों तक, किरण पटेल ने पीएमओ में अतिरिक्त निदेशक (रणनीति और अभियान) के रूप में अपना परिचय देकर जम्मू-कश्मीर पुलिस और नागरिक प्रशासन को धोखा देने में कामयाबी हासिल की थी.
अक्टूबर 2022 और मार्च 2023 के बीच की उसकी चार यात्राओं के दौरान, उसने जेड-प्लस के समकक्ष सुरक्षा घेरे – जिसमें बुलेटप्रूफ वाहन, गनमैन और एस्कॉर्ट वाहन शामिल थे- के साथ एक अतिविशिष्ट व्यक्ति (वीवीआईपी) के रूप में इस केंद्र शासित प्रदेश की यात्रा की थी, हालांकि इस सब को कभी भी निर्धारित आधिकारिक चैनलों के माध्यम से कोई मंजूरी नहीं दी गई थी.
पटेल को नियंत्रण रेखा के पास स्थित उड़ी सहित जम्मू-कश्मीर के कुछ सबसे रणनीतिक रूप से संवेदनशील स्थानों तक भी पहुंच प्रदान की गई, जहां उसने तस्वीरें खींचीं, रील बनाईं और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया.
वह पांच सितारा होटलों में ठहरा, अधिकारियों से ‘ब्रीफिंग’ ली और कई जिलों के कारोबारियों से मुलाकात भी की. जाहिर तौर पर, उसने बहुत सारे वादे भी किए.
जम्मू-कश्मीर खुफिया प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि पटेल ने इन कारोबारियों को कश्मीर के विकास के लिए उदारता के साथ ‘निवेश’ का वादा किया था, और साथ ही उसने उन अधिकारियों को ‘प्लम पोस्टिंग’ (अच्छे पदों पर नियुक्ति) का लालच भी दिया था, जिन्होंने अधिकारियों से उचित मंजूरी के बिना ही उसे सुरक्षा घेरा प्रदान करने की अनुकंपा की थी.
सूत्रों ने कहा कि इन अधिकारियों में पुलवामा के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) बशीर-उल-हक चौधरी और कश्मीर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (सुरक्षा) शेख जुल्फिकार आजाद शामिल हैं.
सूत्रों ने आगे बताया कि हालांकि, कुछ समय के लिए, पटेल के अपने ‘गुजरात कनेक्शन’ के माध्यम से शीर्ष भाजपा नेतृत्व के साथ जान- पहचान के दावों पर संदेह करने, या इस बात पर सवाल उठाने का कोई कारण नहीं था कि ‘ट्रान्स्फर और पोस्टिंग’ (स्थानांतरण और नियुक्ति) के मामले में उसकी चलती है. उसने कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं के साथ अपनी तस्वीरें भी दिखाईं थीं.
एक खुफिया सूत्र ने कहा, ‘वह बहुत आत्मविश्वास से घूमता-फिरता था और अपने संपर्कों के बारे में खूब शेखी भी बघारता था. कोई भी ऐसे किसी वरिष्ठ अधिकारी को नाराज नहीं करना चाहता, जिसके मजबूत राजनीतिक संबंध हों. उसने अधिकारियों को इस बारे में आश्वस्त किया हुआ था कि वह उन्हें उनके विभाग में बेहतर पोस्टिंग दिलाने में मदद कर सकता है, इसलिए सभी ने उसे अनुगृहित ही किया. ‘
मगर, पटेल ने फरेब का जो जाल बिछाया था, वह इस महीने की शुरुआत में घाटी की उसकी पिछली यात्रा के दौरान तब बिखरने लगा था, जब बडगाम के डिप्टी कमिश्नर सैयद फखरुद्दीन हामिद को पटेल के क्रेडेंशियल (पहचान) पर संदेह हुआ, और उन्होंने सुरक्षा ग्रिड में शामिल अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इस बारे में सतर्क किया.
फिर पटेल को 3 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया था, और पिछले गुरुवार को श्रीनगर की एक निचली अदालत ने उसकी जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि जेल से रिहा होने पर वह जांच के काम में बाधा डाल सकता है.
लेकिन कई सारे सवाल अब भी कायम हैं. कैसे एक ‘कॉनमैन’ पूरे जम्मू-कश्मीर प्रशासन को ठग पाया? उसके साथ कौन-कौन लोग जुड़े थे? उसका मकसद क्या था? उसकी पोल कैसे खुली? इन तमाम सवालों के जवाब और किरण पटेल की पूरी कहानी जानने के लिए दिप्रिंट ने श्रीनगर का दौरा किया.
RSS कनेक्शन, एक फोन कॉल, और फिर तुरंत ही मिल गया सुरक्षा कवच
किरण जे. पटेल ने एक व्यवसायी से लेकर ‘वेब डिज़ाइनर’ और एक एनजीओ के अध्यक्ष होने तक कई सारे पदों पर काम किया हुआ है. सूत्रों का कहना है कि उसने गुजरात में कार्यक्रमों, अभियानों और रैलियों को आयोजित करने के लिए भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्यों के एक वर्ग के साथ मिलकर काम भी किया हुआ है.
मौजूदा मामले में चल रही जांच से जुड़े अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि पटेल ने कश्मीर के नागरिक प्रशासन से संपर्क करने के लिए अपने ‘आरएसएस संपर्कों’ का इस्तेमाल किया.
पहले उद्धृत किये गये सूत्र ने बताया कि यह बात पता चली है कि अक्टूबर 2022 में, पटेल ने राजस्थान के आरएसएस प्रचारक त्रिलोक सिंह को कश्मीर में स्थानीय व्यापारियों के साथ जुड़ने में उसकी मदद करने के लिए कहा.
दरअसल, सिंह अक्सर अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू-कश्मीर आते रहते थे और पुलवामा के डीसी को भी जानते थे. त्रिलोक सिंह ने किरण पटेल को डीसी, पुलवामा का फ़ोन नंबर दिया और उसकी (पटेल की) यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए उन्हें फोन भी किया. त्रिलोक ने पुलवामा के डीसी से कहा था कि पटेल एक अच्छे संपर्कों वाले व्यक्ति हैं और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को जानते हैं.
सूत्र ने बताया कि जब पटेल श्रीनगर पहुंचा तो उसने डीसी, पुलवामा से संपर्क किया और दोनों एक होटल में मिले. यहीं पर पटेल ने कथित तौर पर पीएमओ अधिकारी के रूप में अपनी ‘क्रेडेंशियल्स’ की ब्रांडिंग की, जिसमें भारत सरकार के जाली विजिटिंग कार्ड और भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ ली गई खुद की तस्वीरें पेश किया जाना भी शामिल था.
यह कहा जाता है कि पटेल ने पुलवामा के डीसी को यह भी बताया कि उन्हें विकास कार्य का जायजा लेने और वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने के लिए श्रीनगर और कश्मीर के अन्य हिस्सों में घूमना है.
उपर वर्णित स्रोत ने आरोप लगाया, ‘डीसी ने इस सब की पड़ताल करने की कोई परवाह नहीं की. उन्होने पूरे कश्मीर में (पटेल की) यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए, एसएसपी (सेक्यूरिटी) को फोन किया, जो जम्मू स्थित उनके गांव से ही आते हैं, और उन्हें पटेल को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा. यह सारी प्रक्रिया उनके उच्चाधिकारियों से परामर्श किए बिना की गई थी.’
सुरक्षा घेरा मांगने के लिए आवश्यक सामान्य प्रोटोकॉल में कई चरण शामिल होते हैं. सबसे पहले आवेदक को मुख्य सचिव के सामने लिखित रूप में एक अनुरोध प्रस्तुत करना होता है, जिसकी एक प्रति को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की भेजे जाने के लिए चिन्हित किया जाता है. इसके बाद पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजीपी) को सुरक्षा के अगले कदम की जानकारी देता है. इसके बाद, और उचित जांच के पश्चात ही, एसपी (सुरक्षा) सुरक्षा घेरा प्रदान करते हैं. मौजूदा मामले में इस प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया गया.
खुफिया सूत्रों ने कहा कि अपनी पहली यात्रा के दौरान सफलतापूर्वक सुरक्षा घेरा प्राप्त करने के बाद, पटेल का हौसला काफ़ी बुलंद हो गया, और फरवरी की शुरुआत में की गई अपनी बाद वाली यात्रा के अवसर पर उसने सीधे डीसी से संपर्क किया और पुलवामा में हो रहे एक ‘चिकित्सा सम्मेलन’ में अपनी उपस्थिति के लिए सुरक्षा व्यवस्था किए जाने का अनुरोध किया. उसके इस अनुरोध को भी मंजूर कर लिया गया.
इस दूसरी यात्रा के दौरान पटेल कथित तौर पर गुजरात के दो व्यापारियों के साथ पहुंचा था. उसी सूत्र ने कहा कि यह उन व्यवसायियों को प्रभावित करने के लिए रची गई पटेल की ‘रणनीति’ का हिस्सा था. सूत्र ने कहा, ‘वह व्यवसायियों को दिखाना चाहता था कि वह काफ़ी प्रभावशाली है, और वह ऐसा करने में सफल भी रहा क्योंकि उनके पास इतनी सारी सुरक्षा थी.’
इस तरह के सुरक्षा घेरे की सुविधा देने वाले दोनों अधिकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच शुरू की गई है और उन्हें स्पष्टीकरण देने के लिए भी कहा गया है. लेकिन उनके खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.
आरएसएस के साथ पटेल की भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर, इस संगठन के गुजरात प्रांत प्रचार प्रमुख विजय ठक्कर ने उसके साथ कभी किसी मुलाकात की बात से भी इनकार किया.
ठक्कर ने कहा, ‘(किरण) पटेल कभी हमारी किसी शाखा में नहीं आया. वह दावा कर सकता है कि वह आरएसएस से जुड़ा था, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘उसने कुछ कार्यक्रम आयोजित किए होंगे, लेकिन यह उसने आरएसएस के सदस्य के रूप में नहीं किया गया होगा. मैं यहां पिछले 20 साल से अधिक समय से हूं, और मैंने उसके बारे में कभी नहीं सुना. अगर वह एक सक्रिय सदस्य होता, तो मुझे ज़रूर पता होता.’
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और फिर फिसलने लगा नकाब – खराब ‘बॉडी लैंग्वेज, ओवरएक्टिंग’
फरवरी के अंतिम सप्ताह में, कश्मीर की अपनी तीसरी यात्रा के लिए, पटेल अपने परिवार को भी साथ लाया था, और उन्होने डल झील, गुलमर्ग और दूधपथरी जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों का दौरा किया. इस पूरी यात्रा के दौरान उन्हें पूरी सुरक्षा प्रदान की गई थी, लेकिन इस वक्त तक उसका ओढ़ा मुखौटा फिसलने लगा था.
एक दूसरे खुफिया सूत्र ने बताया कि बडगाम जिले में स्थित दूधपथरी का दौरा करते समय, पटेल ने कुछ स्थानीय अधिकारियों को एक स्वामीनारायण मंदिर के निर्माण के लिए ज़मीन प्राप्त करने में अपनी दिलचस्पी के बारे में बताया था. उसने कथित तौर पर जम्मू और कश्मीर पर्यटक विकास निगम (जेकेटीडीडी) के अधिकारियों के साथ उसकी बैठक की व्यवस्था करने के लिए स्थानीय स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) से संपर्क किया और इस दौरान तहसीलदार तथा नाइक की उपस्थिति का अनुरोध भी किया.
इस ‘बैठक’ के दौरान, पटेल ने होटलों के निर्माण को प्रोत्साहित किये जाने के माध्यम से इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की योजना पर भी चर्चा की. हालांकि, जैसा कि सूत्र ने दावा किया, इसी बैठक के एक मुकाम पर पटेल का ‘हाव-भाव’ बदल सा गया, और उसने बडगाम के डीसी पर इस बात के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया कि वहां का सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) उसका अभिवादन करने के लिए क्यों नहीं आया था.
सूत्र ने कहा कि डीसी को यह कुछ ‘अजीब’ सा लगा.
सूत्र ने कहा, ‘डीसी को संदेह हुआ क्योंकि उन्होंने सोचा कि कोई आला अधिकारी किसी डीएम या एसडीएम को आने और उनका अभिवादन करने और इस चर्चा में शामिल होने के लिए क्यों कहेगा? फिर डीसी ने पटेल की ‘बॉडी लैंग्वेज; पर ध्यान देना शुरू किया. इसके अलावा, जिस तरह से वह अधिकारियों से बात कर रहा था, उससे ऐसा प्रतीत होता था कि उसे पदनामों के पदानुक्रम के बारे में कुछ भी पता नहीं था.‘
इस सब से बडगाम के डीसी सैयद फखरुद्दीन हामिद को लगा कि कुछ तो गड़बड़ है, और उन्होने पटेल के ‘क्रेडेंशियल’ की जांच के लिए राज्य अपराध जांच विभाग (सीआईडी) से संपर्क किया.
दूसरे सूत्र ने कहा, ‘उसकी ओवरएक्टिंग ने ही उसका भांडा फोड़ दिया.’ सीआईडी को जल्द ही पता चला गया कि पीएमओ में कोई ‘किरण पटेल’ नहीं है, और यहां तक कि जिस ‘पदनाम’ का उसने दावा किया था वह के मौजूद ही नहीं है.
गिरफ़्तारी के समय कार्ड को फ्लश में बहाने की कोशिश की, आक्रामक हो गया
2 मार्च को, पटेल कश्मीर लौट आया और श्रीनगर के एक हेरिटेज होटल ‘ललित ग्रैंड पैलेस’ में चेक-इन किया. उसके बाद, मामला पहले के जैसा नही रह गया.
पटेल के होटल पहुंचने के तुरंत बाद, दो पुलिस अधिकारी – मंशा बेग, उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ), नेहरू बाग, और श्री राम, एसपी (पूर्वी श्रीनगर) – उससे पूछताछ करने वहां पहुंचे.
जब इन अधिकारियों ने उससे उसके ‘बैच’ के बारे में सवाल पूछा, उन जगहों के बारे में पूछा जहां उसे तैनात किया गया था, और यह पूछा कि क्या वह आईएएस अधिकारी है या आईपीएस; तो पटेल अपने जवाबों को लेकर लड़खड़ाने लगा.
एक तीसरे खुफिया सूत्र ने कहा, ‘उसे तैनाती और नियुक्तियों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. इस सब से यह बहुत स्पष्ट हो गया कि वह झांसा दे रहा था.’
इसके बाद के पटेल के व्यवहार ने संदेह को और बढ़ावा ही दिया.
तीसरे सूत्र ने कहा, ‘उसने ऊंची आवाज में बात करनी शुरू कर दी, आक्रामक हो गया, और अधिकारियों से कहने लगा कि ‘आपकी इतने वरिष्ठ अधिकारी से ये सब सवाल पूछने की हिम्मत कैसे हुई? आपने मुझसे इस तरह से बात करने की हिम्मत कैसे की?’
हालांकि, अधिकारी टस से मस नहीं हुए, और उसे अपने साथ थाने चलने को कहा.
सूत्र ने कहा कि इसके बाद पटेल जल्दी से वॉशरूम में चला गया. और उसने आपत्तिजनक दस्तावेजों को फ्लश में बहाने की कोशिश भी की, लेकिन रंगे हाथों पकड़ा गया.
सूत्र ने बताया, ‘उसने सबूत नष्ट करने के लिए विजिटिंग कार्ड को फ्लश में बहाने की कोशिश की, लेकिन सौभाग्य से कार्ड बहे नहीं, और उन्हे टॉयलेट की पॉट से बरामद कर लिया गया.’
सूत्र ने कहा कि इसके बाद पटेल को पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां एक लंबी पूछताछ के बाद उसने अपना अपराध कबूल कर लिया.
मकसद? ‘ठेके उठाओं, कमीशन कमाओं’
खुफिया सूत्रों का क़हना है कि पूछताछ के दौरान, पटेल ने पुलिस को बताया कि कश्मीर आने और खुद को एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में पेश करने का उसका असल मकसद गुजरात के व्यापारियों के लिए ‘अनुबंध (ठेके) हासिल करना’ और फिर उनसे उँची दर पर कमीशन वसूलना था.’
तीसरे सूत्र ने बताया कि उसकी योजना कश्मीर के होटल व्यवसायियों और अन्य व्यापारियों के बीच एक नेटवर्क बनाने, और फिर उनसे प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए ‘फर्जी पहचान’ का उपयोग करने की थी. सूत्र ने कहा कि उसने भारी भरकम कमीशन के बदले इन परियोजनाओं को गुजरात के व्यवसायों को देने की योजना बना रखी थी.
तीसरे सूत्र ने कहा, ‘वह एक शातिर घोटालेबाज है. वह गुलमर्ग और बडगाम में अधिकारियों से मिलता था और कहता था कि वह निवेशकों को लाना चाहता है, होटल बनाना चाहता है, और कश्मीर में विकास करना चाहता है. उसने ऐसा इसलिए किया ताकि वह इस क्षेत्र के कारोबारियों के संपर्क में आ सके और अपने नेटवर्क का विस्तार कर सके. उसका मकसद अपने नकली प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए सस्ते दामों पर जमीन खरीदना और फिर उससे पैसा बनाना था. यही वजह कि वह अपनी इन यात्राओं में से एक में गुजरात के दो व्यवसायियों को भी अपने साथ लाया था.’
उन्होंने कहा, ‘उसने उन व्यवसायियों को यकीन दिलाया कि वह कश्मीर में एक रसुखदार व्यक्ति है और बड़े सौदे हासिल करने में जमीन पर उनकी मदद कर सकता है. वह बहुत कुख्यात शख्स है और गुजरात में उसके खिलाफ धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं.‘
सूत्र ने कहा कि पटेल ने घाटी में अपना खुद का आधार बनाने के लिए भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं से भी मुलाकात की, जिसमें मुबीना अख्तर और कश्मीर के लिए पार्टी के मीडिया प्रभारी मंजूर भट के नाम शामिल हैं.
ट्विटर पर अपने ब्लू-टिक के साथ सत्यापित अकाउंट में, पटेल ने अपना परिचय ‘पीएच. डी. (कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी वर्जीनिया), एम.बी.ए. (आईआईएम, त्रिची), एम.टेक (कंप्यूटर साइंस), बी.ए. कंप्यूटर (एलडी इंजीनियरिंग), विचारक, रणनीतिकार, विश्लेषक, अभियान प्रबंधक)’ के रूप में दे रखा है.
इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई अपनी कई तस्वीरों में पटेल को श्रीनगर के लाल चौक पर और डल झील के किनारे स्थित प्रतिष्ठित क्लॉक टॉवर के सामने पोज देते हुए देखा जा सकता है. उसने अपने पीछे चल रहे एस्कॉर्ट वाहनों के साथ काले रंग की बुलेटप्रूफ स्कॉर्पियो में लिए गये खुद के वीडियो भी पोस्ट किए थे.
‘बंगला हड़प लिया, निवेशकों को ठगा’ – सामने आए पुराने मामले
खुफिया सूत्रों ने कहा कि पीएमओ के एक शीर्ष अधिकारी के रूप में पटेल द्वारा की गई ‘अदाकारी’ एकमात्र ऐसा वाक़या नहीं है जब उसने कथित तौर पर निजी फ़ायदे के लिए ‘फर्जी दिखावे’ का इस्तेमाल करने की कोशिश की है. गुजरात में, उसके उपर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और इमपर्सोनेशन के कम से कम तीन मामलों में केस दर्ज किया गया है.
अहमदाबाद में दर्ज एक मामले में, पटेल ने कथित तौर पर एक वरिष्ठ नागरिक के बंगले को हड़पने की कोशिश करने हेतु अपने ‘पीएमओ’ वाले मनगढ़ंत कनेक्शन का ही इस्तेमाल किया था. इस मामले में उनके खिलाफ पिछले बुधवार को आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, आपराधिक साजिश और एक लोक सेवक का नकली रूप धारण करने के लिए एक नई प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
इस प्राथमिकी के अनुसार, पटेल ने ‘पीएमओ में क्लास-1 अधिकारी’ होने और प्रधानमंत्री सहित कई राजनेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध होने के झूठे दावों के ज़रिए अहमदाबाद के एक संभ्रांत इलाके में बने एक बंगले को हड़पने की कोशिश की थी.
अगस्त 2019 में, शहर के एक डेकोरेटर (साज-सज्जा का काम करने वाले) ने वडोदरा में पटेल और दो अन्य लोगों के खिलाफ कथित रूप से उसके साथ 1 करोड़ रुपये की ठगी करने की शिकायत दर्ज कराई थी. पटेल ने कथित रूप से यह दावा करते हुए शिकायतकर्ता को इसके गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी भी दी थी कि वह राजनीतिक रूप से अच्छी तरह से जुड़े हुए है, .
अगस्त 2020 में अरवल्ली जिले के बयाद कस्बे में पटेल के खिलाफ धोखाधड़ी और विश्वासघात की एक और शिकायत दर्ज की गई थी. इस प्राथमिकी के अनुसार पटेल ने बयाड के तीन लोगों को अच्छे मुनाफ़े के लिए अपनी सारी बचत को तंबाकू और मवेशियों के चारे के कारोबार में निवेश करने के लिए राजी किया था. निवेशकों का आरोप है कि पटेल ने उनके साथ 1.75 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी.
(अनुवाद- रामलाल खन्ना/ संपादन- आशा शाह)
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