नयी दिल्ली, तीन मार्च (भाषा) कांग्रेस के नेताओं और विशेषज्ञों के विशेषाधिकार प्राप्त कार्य समूह (ईगल) ने एक मतदाता पहचान संख्या का इस्तेमाल कई राज्यों में किए जाने का सोमवार को दावा किया और आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग मतदाता सूची से संबंधित हेरफेर में संलिप्त है।
उसने यह भी कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को कमजोर नहीं होने देगी तथा वह कानूनी, राजनीतिक, विधायी और अन्य तरीकों से समाधान तलाशने के लिए सक्रिय है।
‘ईगल’ ने एक बयान में कहा, ‘‘मतदाता सूची में हेरफेर के मुद्दे पर कुछ चौंकाने वाले घटनाक्रम सामने आए हैं। एक ही मतदाता पहचान संख्या का उपयोग एक ही राज्य के एक ही निर्वाचन क्षेत्र के साथ-साथ अन्य राज्यों के कई मतदाताओं के लिए किया जा रहा है। ये बिल्कुल चौंकाने वाला है।’’
उसने कहा कि प्रत्येक भारतीय मतदाता के लिए एक मतदाता पहचान पत्र एक साफ-सुथरी मतदाता सूची की मूलभूत आवश्यकता और आधार है।
कांग्रेस की इस इकाई ने कहा, ‘‘एक ही मतदाता पहचान संख्या वाले कई मतदाताओं का होना देश में एक ही पंजीकरण संख्या वाले कई वाहनों के समान विचित्र है। यह किसी भी चुनावी लोकतंत्र में अनसुना है।’’
‘ईगल’ के अनुसार, दिसंबर 2024 में, कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र 2024 विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूचियों में भारी अनियमितताओं और असामान्यताओं की ओर इशारा किया।
उसने कहा कि यह तार्किक और सांख्यिकीय आधार पर बेतुकापन है कि चुनाव आयोग ने 2019 और 2024 के बीच पूरे पांच साल की अवधि में दर्ज नए मतदाताओं (32 लाख) की तुलना में 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच पांच महीनों में अधिक नए मतदाता (40 लाख) पंजीकृत किए।
‘ईगल’ ने दावा किया कि कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में जमीनी रिपोर्टों के माध्यम से इसकी पुष्टि की गई, जहां हजारों मतदाताओं को सिर्फ एक इमारत से नामावली में जोड़ा गया था या अन्य राज्यों से लाया गया था।
उसने कहा, ‘‘यह प्राथमिक जानकारी है कि जो व्यक्ति कानूनी रूप से देश के किसी भी राज्य में प्रवास कर सकता है, उसके पास पूरे देश में एक अद्वितीय मतदाता पहचान संख्या होनी चाहिए। चुनाव आयोग इस मामले में अनजान होने या अक्षमता का दिखावा नहीं कर सकता।’’
कांग्रेस की इकाई ने आरोप लगाया कि यह सत्तारूढ़ दल की सहायता करने और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के विचार को विफल करने के लिए मतदाता सूची में हेरफेर का एक जानबूझकर किया गया कार्य है।
उसने कहा, ‘‘अब पर्दा हट चुका है। यह स्पष्ट है कि सत्तारूढ़ भाजपा चुनाव आयोग की मिलीभगत से मतदाता सूचियों में हेरफेर करके चुनाव जीतती है या जीतने का प्रयास करती है। यही कारण है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया नरेन्द्र मोदी सरकार के लिए इतनी महत्वपूर्ण है कि उसने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक संतुलित समिति बनाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलट दिया।’’
उसने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को मंद नहीं पड़ने देगी और कानूनी, राजनीतिक, विधायी तथा अन्य तरीकों से समाधान खोजने पर सक्रिय रूप से काम कर रही है।
भाषा हक
हक संतोष
संतोष
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