नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) कांग्रेस ने सूचना प्रौद्योगिकी के संशोधित नियम रद्द करने के बंबई उच्च न्यायालय के निर्णय का शनिवार को स्वागत किया।
इन संशोधित नियमों का उद्देश्य तथ्यान्वेषी इकाई (एफसीयू) के माध्यम से सोशल मीडिया मंचों पर सरकार के खिलाफ प्रसारित “फर्जी और झूठी” पोस्ट की पहचान करना था।
बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इन नियमों को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया।
अदालत ने कहा कि संशोधित नियम समानता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं और इन नियमों के अस्पष्ट व व्यापक होने के कारण न केवल व्यक्ति, बल्कि सोशल मीडिया मध्यस्थों पर भी ‘भयावह प्रभाव’ पड़ सकता है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि बंबई उच्च न्यायालय ने तथ्यान्वेषी इकाई को असंवैधानिक करार देकर सही किया है।
उन्होंने कहा, “नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री झूठ फैलाने में माहिर हैं। यह एक विचित्र परिहास है कि जिस सरकार को वे चला रहे हैं, उसी ने यह तथाकथित ‘तथ्यान्वेषी इकाई’ बनाई। बंबई उच्च न्यायालय इसे असंवैधानिक ठहराकर सही किया है।”
रमेश ने कहा, “लेकिन यह उन्हें अपने अनोखे झूठ को फैलाने से नहीं रोक पाएगा।”
उच्च न्यायालय के फैसले के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, “सत्तासीन लोगों समेत किसी ने भी तथ्यान्वेषी इकाई को गंभीरता से नहीं लिया। इसलिए, हम बंबई उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हैं।”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शुक्रवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था, “प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने के मोदी सरकार के दुर्भावनापूर्ण प्रयास को रोकने के लिए बंबई उच्च न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य है।”
‘स्टैंड-अप कॉमेडियन’ कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, ‘न्यूज ब्रॉडकास्ट एंड डिजिटल एसोसिएशन’ और ‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन’ ने नए नियमों को चुनौती देते हुए बंबई उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की थीं।
भाषा जोहेब दिलीप
दिलीप
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