नई दिल्ली: कोरोनावायरस के दौरान लॉकडाउन से आर्थिक मुसीबत झेल रहे लोगों को पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम और मुसीबत बढ़ाएंगे. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने इसे घाव पर नमक छिड़कना बताया है तो रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कोरोना संकट के दौरान पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने को 130 करोड़ भारतीयों पर वार और पीएम मोदी को देश को लूटने वाला बताया है.
In the midst of a pandemic
Insensitive & Anti-people decision
May 4
Petrol ₹69.6/litre
Diesel ₹ 62.3/litreMay 5
Petrol ₹71.3/litre
Diesel ₹ 69.4/litreIt’s called
घाव पे नमक छिड़कना
— Kapil Sibal (@KapilSibal) May 6, 2020
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कोरोना महामारी के बीच पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने को घाव पर नमक छिड़कना कहा है.
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया है कि कच्चे तेल के दाम लगातार गिर रहे हैं. तेल के कम दामों का फ़ायदा जो पेट्रोल-डीज़ल की कम क़ीमतों से किसान-दुकानदार-व्यापारी-नौकरी-पेशा वर्ग को होना चाहिए, टैक्स लगा भाजपा सरकार अपनी जेब में डाल रही है.
उन्होंने सवाल किया है कि क्या जनता को लूट जेबें भरना ‘राजधर्म’ है? सुरजेवाला ने कहा है कि यह रात के अंधेरे में 130 करोड़ भारतीयों पर वार है.
कांग्रेस नेता ने लिखा है, ‘देश लॉकडाउन से धीरे धीरे बाहर आ रहा है, दुकानदार कुछ दुकानें खोल पा रहा है, ट्रक की माल ढुलाई थोड़ी शुरू हो रही है, किसान फसल कटाई पूरी कर रहा है, पर मोदी जी पेट्रोल-डीज़ल पर ₹10 व ₹13 प्रति लीटर टैक्स लगा जनता को लूट रहे हैं.’
वहीं इससे पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कांग्रेस नेता और की महिला विंग की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने पेट्रोल-डीजल को जरूरी उत्पाद बताया था और इसके दाम बढ़ने से बाकि चीजों पर असर होने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि कोरोना संकट के दौरान ऐसा करना गलत है.
सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 10 रुपये लीटर और डीजल पर 13 रुपये लीटर बढ़ाया
केंद्र सरकार ने मंगलवार रात को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 10 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर उत्पाद शुल्क 13 रुपए प्रति लीटर बढ़ा दिया है.
उत्पाद शुल्क में इस बढ़ोतरी के बाद लोगों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की घटी कीमतों का कोई भी फायदा नहीं मिल पाएगा.
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मांग नहीं होने के कारण पिछले माह ब्रेंट कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 18.10 डॉलर के निम्न स्तर पर पहुंच गई थी. यह 1999 के बाद से सबसे कम कीमत थी. हालांकि इसके बाद कीमतों में थोड़ी वृद्धि हुई और यह 28 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई.