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Saturday, 21 December, 2024
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आरबीआई का सरकार को 1.76 लाख करोड़ दिए जाने का फैसला विनाशकारी: कांग्रेस

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, 'भारत पहली बार ऐसी आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है.'

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नई दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा केंद्र सरकार को 1.76 लाख करोड़ का सरप्लस देने के फैसले पर कांग्रेस पार्टी लगातार हमलावर बनी हुई है. मंगलवार सुबह जहां कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जहां ‘ट्वीट कर वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री को भारतीय अर्थव्यवस्था को संभालना नहीं आ रहा है. वहीं दोपहर होते-होते कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा सांसद और नेता आनंद र्मा ने इसे विवाश कारी बताया है. उन्होंने कहा, ‘आरबीआई के पूर्व गवर्नरों ने आरबीआई द्वारा सरकार को 1.76 लाख करोड़ का सरप्लस देने के फैसले का विरोध किया है.’

‘पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इस फैसले को विनाशकारी बताया है.’

शर्मा ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था का यह हाल सरकार की बदइंतजामी की वजह से हुआ है. जब से मोदी सरकार आई है तब से ही अर्थव्यवस्था की हालत काफी बुरी है.’

‘जिन देशों में भी उसके सर्वोच्च बैंक ने ऐसे सरप्लस सरकार को दिए हैं वहां की अर्थव्यवस्था और भी बुरी हुई है. उन्होंने कहा आरबीआई से पैसा लेकर कोई फायदा नहीं होने वाला है. इससे अर्थव्यवस्था को और नुकसान ही होगा.’

शर्मा ने कहा, ‘गरीबों को मिलने वाले पैसे को सरकार ने देना बंद कर दिया है, डीबीटी भुगतान हो नहीं पा रहा है. भारत पहली बार ऐसी आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है.’

शर्मा ने कहा, ‘सरकार असल मुद्दों पर बात नहीं कर रही है.’

वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी ने भी आरबीआई के इस फैसले पर सरकार को आड़े हाथों लिया है.  आरबीआई द्वारा सरकार को 1.76 लाख करोड़ का सरप्लस देने के फैसले पर राहुल गांधी ने कहा था, ‘गोली लगने के बाद बैंडेड लगाने से जख्म नहीं भरता है.’ उन्होंने कहा, ‘पीएम और वित्त मंत्री को नहीं पता कि बिगड़ती आर्थिक स्थिति से निपटने के लिए क्या किया जाता है.’

आनंद शर्मा ने आगे कहा, ‘सरकार की नीतियां लगातार अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रही है. जीडीपी में भी पिछली कुछ तिमाहियों में गिरावट आई है. डॉलर के मुकाबले रुपए कमजोर हो रहा है. लोगों की नौकरियां लगातार जा रही हैं.’

शर्मा ने कहा ‘एनबीएफसी की स्थिति भी लगातार खराब हो रही है. इन्हीं बैंकों के जरिए छोटे शहरों के लोगों को पैसा मिलता है लेकिन इनकी स्थिति भी खराब है.उन्होंने कहा टेक्सटाइल इंडस्ट्री और कृषि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित है.’

‘टेक्सटाइल इंडस्ट्री देश का दूसरा सबसे बड़ा सेक्टर है जो लाखों लोगों को रोज़गार देता है लेकिन इसकी हालत ऐसी है कि इनकी एसोसिएशन को अखबार में खराब स्थिति के बारे में विज्ञापन छापना पड़ रहा है.’

आरबीआई ने 2014 में सरकार को 52679 हजार करोड़ का, 2015 में 65896 हजार करोड़ का , 2016 में 65876 हजार करोड़ का, 2017 में 30659 हजार करोड़ का, 2018 में 50000 हजार करोड़ का सरप्लस दिया था. 2019 में ये रकम बढ़कर 1.76 लाख करोड़ हो गई है.

बिमल जालान समिति की सिफारिश के बाद मिला सरप्लस

बता दें रिजर्व बैंक में बिमल जालान समिति की सिफारिशों को अमल में लाते हुए सोमवार को रिकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये का लाभांष और अधिशेष आरक्षित कोष सरकार को ट्रासंफर करने का फैसला लिया. मोदी सरकार काफी दिनों से आरबीआई से सरपल्स मांग रही थी. इसेक लिए आरबीआई ने पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में एखक समिति का गठन किया. इस समिति का काम था कि एक सहमति बनाई जाए कि कितना पैसा सरकार को ट्रांसफर देना है. समिति में भी काफी विवाद चल रहा था. समिति के सदस्यों के बीच पैसा ट्रांसफर करने को लेकर काफी असहमतियां थी. लेकिन बाद में इन विवादों को सुलझा लिया गया.

पिछले दिनों जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की लगातार गिरती अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए ऐलान कर रही थीं तो जानकार का एक ही सवाल था कि ये होगा कैसे ? तो बता दें कि आरबीआई ने सरकार की इस परेशानी पर विराम लगाते हुए 1.76 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जाने की घोषणा कर बाजार में नई जान डाल दी है.

सरकार आखिरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस रगड़े में हार गया जिसमें एक केंद्रीय बैंक के एक गवर्नर की आलोचना भी हुई. कोई तर्क दे सकता है कि केंद्रीय बैंक सरकार की मर्जी से काम करता है. और आरबीआई अधिनियम में इसे अच्छी तरह से स्पष्ट किया गया है. आरबीआई ने अपने बोर्ड की बैठक के बाद घोषणा की कि वह 1.76 लाख करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक अधिशेष सरकार को हस्तांतरित करेगा.

केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, ‘अधिशेष हस्तांतरण में वर्ष 2018-19 का 1,23,414 करोड़ रुपये अधिशेष और 52,637 करोड़ रुपये का आधिक्य प्रावधान शामिल है जिसे आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क (ईसीएफ) ने चिन्हित किया है और इसे आज केंद्रीय बोर्ड की बैठक में स्वीकार किया गया.’

आरबीआई द्वारा सरकार को दी जाने वाली सहायता राशि को लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है. कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि क्या यह महज़ संयोग है कि आरबीआई द्वारा 1.76 लाख करोड़ दिया जा रहा उधार बजट गणना में मिसिंग राशि का कैलकुलेशन है.

पिछले साल नवंबर में मसला काफी गरम रहा जब आरबीआई के एक डिप्टी गवर्नर ने हलचल पैदा कर दी. उन्होंने ए. डी. श्रॉफ बयान में कहा, ‘आरबीआई न तो स्वतंत्र और न ही स्वायत्त संस्था है. जो सरकार केंद्रीय बैंक का सम्मान नहीं करेगी उसे कभी न कभी वित्तीय बाजारों का कोप भाजन बनना पड़ेगा.’

आरबीआई अधिनियम में स्पष्ट बताता है-‘केंद्र सरकार समय समय पर केंद्रीय बैंक के गर्वनर के परामर्श के बाद बैंक को ऐसे निर्देश देती है जोकि उसे लगता है कि जनहित में आवश्यक है. ऐसे किसी निर्देश के तहत बैंक के मामलों और कारोबार का सामान्य अधीक्षण और निर्देशन निदेशक मंडल की देखरेख में होगा जो सभी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है और बैंक द्वारा किए जाने वाले सभी कार्यो पर लागू हो सकता है.’

यह सरकार को दिए जाने वाले आरबीआई के सालाना लाभांश के अतिरिक्त है. पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसी साल फरवरी में केंद्रीय बैंक से 28,000 करोड़ रुपये का अंतरिम हस्तांतरण किया गया. आरबीआई ने अगस्त 2018 में सरकार को 40,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किया.

यह किसी एक वित्त वर्ष में आरबीआई से सरकार को प्राप्त सर्वाधिक राशि थी जोकि वित्त वर्ष 2016 में प्राप्त 65,896 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2018 में प्राप्त 40,659 करोड़ रुपये से अधिक है.

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