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Saturday, 23 November, 2024
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कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के नेताओं की राज्यपाल से मुलाकात टली, सरकार पर सस्पेंस बरकरार

महाराष्ट्र में तीनों पार्टियों ने सरकार के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार किया गया है. तीनों दलों के आला नेताओं को मंजूरी के लिए भेजा गया है.

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नई दिल्ली: महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर राज्यपाल से कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के नेताओं की मुलाकात फिलहाल टल गई है. यह मुलाकत शनिवार शाम को राजभवन में होनी थी, लेकिन ऐन वक्त पर इसे टाल दिया गया. तीनों दलों के नेताओं का कहना था कि राज्यपाल से यह मुलाकात राज्य में सरकार गठन को लेकर नहीं है, जबकि बेमौसम बारिश के कारण किसानों को हुए नुकसान और उन्हें जल्द सहायता देने को लेकर थी. इससे पहले राज्य के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी किसानों को राहत देने की मांग को लेकर राज्यपाल से मुलाकात की थी.

एनसीपी के नेता नवाब मलिक ने शुक्रवार को मीडिया से कहा था, ‘महाराष्ट्र के राज्यपाल ने शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं के राज्यपाल से शनिवार दोपहर में समय मांगा है. तीनों नेताओं का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलकर किसानों को राहत देने की मांग करेगा.’

शिवसेना एनडीए की बैठक में शामिल नहीं होगी

शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि शिवसेना एनडीए की बैठक में हिस्सा लेने नहीं जाएगी. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात के बाद राउत ने यह बात कही. मीडिया से चर्चा में शिवसेना नेता राउत ने कहा कि हम एनडीए की बैठक में नही जाएंगे.

न्यूज एजेंसी एनएनआई के मुताबिक राज्यसभा में शिवसेना नेता संजय राउत और अनिल देसाई की बैठने की जगह भी बदल दी गई है. अब दोनों नेता विपक्षी पक्ष में बैठेंगे.

पार्टी बैठक में फडणवीस बोले, सरकार भाजपा की बनेगी

शनिवार को दादर स्थित भाजपा कार्यालय में राज्य के भाजपा नेताओं की बैठक हुई. इस बैठक में पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा, भाजपा ने चुनाव में ज्यादा सीटे जीती. सभी लोग भविष्य के चुनाव लड़ने के लिए सकारात्मक हैं. नेता व कार्यकर्ता समस्या जानने के लिए लोगों के बीच जा रहे है. आने वाले दिनों में हम और ज्यादा ताकतवार होकर लडेंगे. वहीं पूर्व सीएम फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बीजेपी की बनेगी.

नए समीकरण देख कुछ लोगों के पेट में दर्द हो रहा है: शिवसेना

राज्य में जारी सियासी घमासान के बीच शिवसेना ने फिर भाजपा पर निशाना साधा है. पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में भाजपा पर निशाने साधते हुए लिखा है, ‘राज्य में नए समीकरण बनता देख कई लोगों के पेट में दर्द शुरु हो गया है. ऐसे में श्राप भी दिए जा रहे है कि अगर सरकार बन भी गई तो कैसे और कितने दिन टिकेगी, देखते है. ऐसा कहा जा रहा है कि यह सरकार छह माह से ज्यादा नहीं टिकेगी. हम महाराष्ट्र के मालिक है और देश के बाप है, अगर ऐसा किसी को लगता है तो वह इस मानसिकता से बाहर आ जाए. यह मानसिक अवस्था 105 वालों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है.’ शिवसेना ने भाजपा पर विधायकों की खरीद फरोख़्त का आरोप भी लगाया है.

न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर तीनों दलों की बनी सहमति

महाराष्ट्र में तीनों पार्टियों ने सरकार के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार किया गया है. तीनों दलों के आला नेताओं को मंजूरी के लिए भेजा गया है. शिवसेना से सीएम कौन बनेगा अभी यह तय नहीं है. सूत्रों के मुताबिक इस कार्यक्रम के तहत शिवसेना कट्टर हिंदुत्व, मुस्लिम आरक्षण पर आक्रमक होने से बचेगी. राज्य में बेरोजगारी, किसानों की कर्जमाफी, मुंबई समेत अन्य शहरों के विकास जैसे जनहित के मुद्दों पर मिलकर काम करेंगे. साथ ही विवादास्पद मुद्दों को छोड़कर चुनावी वादों को पूरा करने पर जोर देंगे.

पवार का दावा पांच साल चलेगी सरकार

इसके पहले शुक्रवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने नागपुर में एक प्रेसवार्ता में कहा कि सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. मध्यावधि चुनाव की कोई आशंका नहीं है. यह सरकार पूरे पांच साल तक चलेगी.उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के बेमौसम बारिश के कारण किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. केंद्र सरकार का इस दिशा में कदम उठाना चाहिए. इसके पहले मुंबई में मीडिया से चर्चा में एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा,’सीएम शिवसेना का होगा. मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर ही उसने महायुति को छोड़ा है.उनकी भावनाओं का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है.’

भाजपा-सेना गठबंधन टूटने से मुंबई मेयर के चुनाव पर पड़ेगा असर

महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन में टूट का असर 22 नवंबर को मुंबई मेयर के लिए होने वाले चुनाव पर भी पड़ सकता है. बृहन्मुंबई नगर निगम के 2017 में हुए चुनावों में 227 सदस्यीय नगर निगम में शिवसेना के 84 पार्षद जीते थे, वहीं सहयोगी भाजपा के 82 पार्षदों ने जीत हासिल की थी.

तब भाजपा ने शिवसेना को समर्थन दिया था और विश्वनाथ महादेश्वर को मेयर चुना गया. महादेश्वर का ढाई साल का कार्यकाल इस साल सितंबर में समाप्त हो गया, लेकिन 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल नवंबर तक बढ़ा दिया गया. विधानसभा चुनाव के 24 अक्टूबर को आए परिणामों के बाद दोनों दलों के बीच दरार आ गई जहां शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर समान साझेदारी की मांग पर अड़ी हुई थी.

शिवसेना के इस समय 94 पार्षद हैं जिनमें छह पार्षद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से आए थे. भाजपा के 83, कांग्रेस के 28, राकांपा के आठ, समाजवादी पार्टी के छह, एमआईएम के दो तथा मनसे का एक पार्षद है.

मेयर पद के चुनाव के लिए भाजपा के उम्मीदवार उतारने की संभावनाओं के सवाल पर पार्टी की मुंबई इकाई के अध्यक्ष मंगल प्रभात लोढा ने कहा कि उसने अभी तक इस पर निर्णय नहीं किया है.

सपा के रईस शेख ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ बातचीत कर रही है और जल्द फैसला लिया जाएगा.

आरटीआई अर्जियों के माध्यम से देश के सबसे धनवान नगर निगम में अनेक घोटाले उजागर करने वाले कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि इस समय भाजपा का रुख अहम होगा जहां राज्यस्तर पर कांग्रेस-राकांपा की शिवसेना के साथ बातचीत चल रही है.

उन्होंने कहा,’सबसे संभावित परिदृश्य में कांग्रेस और राकांपा विभिन्न समितियों में पद मांग सकते हैं, वहीं अगर भाजपा उम्मीदवार खड़ा करने का मन बनाती है तो उसे नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सकता है.’

राज्य शहरी विकास विभाग ने एक लॉटरी में तय किया है कि अगला मेयर सामान्य श्रेणी से होगा.हर ढाई साल में मेयर पद पर बारी-बारी से सामान्य और आरक्षित श्रेणी के नेता आरुढ़ होते हैं.

गौरतलब है कि, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य की मौजूदा स्थिति को देखते हुए केंद्र को रिपोर्ट भेजकर महाराष्ट्र स्थिर सरकार के गठन को असंभव बताया था. इसके बाद से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनुपट के साथ में )

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