रायपुर, पांच सितंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ में विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य मंत्रिपरिषद की संख्या को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और दावा किया है कि मंत्रिपरिषद की वर्तमान 14 सदस्यीय संख्या संवैधानिक सीमा से अधिक है। पार्टी के एक पदाधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी की संचार शाखा के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, ‘‘संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, मुख्यमंत्री सहित किसी राज्य के मंत्रिपरिषद का आकार विधानसभा की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। इस नियम के अनुसार, छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल में अधिकतम 13 सदस्य हो सकते हैं।’’
शुक्ला ने कहा, ‘‘बिना किसी संवैधानिक अनुमति के, मौजूदा राज्य सरकार ने 13 के बजाय मुख्यमंत्री सहित 14 सदस्यों को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया।’’
उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी ने राज्य सरकार के इस कदम को असंवैधानिक बताते हुए उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है और इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी।
छत्तीसगढ़ में 20 अगस्त को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तीन विधायकों को शामिल किया गया, जिससे मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या बढ़कर 14 हो गई।
नब्बे सदस्यीय विधानसभा वाले छत्तीसगढ़ में, 91वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के लागू होने के बाद से मुख्यमंत्री सहित 13 विधायक परंपरागत रूप से मंत्रिमंडल का हिस्सा रहे हैं।
संविधान (91वां संशोधन) अधिनियम, 2003 के अनुसार, मुख्यमंत्री सहित किसी राज्य के मंत्रिपरिषद का आकार विधानसभा की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता।
सूत्रों ने बताया कि संख्या बढ़ाकर 14 करते हुए विष्णुदेव साय सरकार ने हरियाणा का अनुकरण किया है, जहां 90 सदस्यीय विधानसभा और 14 सदस्यीय मंत्रिमंडल है।
इस कदम पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता चरणदास महंत ने पिछले महीने राज्यपाल रमेश बैस को एक पत्र लिखकर मांग की थी कि राज्य मंत्रिमंडल से एक मंत्री को हटाया जाए क्योंकि वर्तमान संख्या संवैधानिक सीमा से अधिक है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 सदस्य हैं, इसलिए अनुच्छेद 164(1क) के तहत 15 प्रतिशत की संवैधानिक सीमा 13.50 होती है, जिसका अर्थ है कि मंत्रिमंडल में 13 से अधिक सदस्य नहीं हो सकते।
महंत ने कहा कि मंत्रिपरिषद की वर्तमान संख्या संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन करती है और उन्होंने राज्यपाल से एक मंत्री को हटाने का अनुरोध किया।
इस पर राज्य के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा था कि सरकार हरियाणा के उदाहरण का अनुसरण कर रही है।
साव ने कहा था, ‘‘यह (14 सदस्यीय मंत्रिमंडल) संवैधानिक प्रक्रियाओं के अनुसार किया गया है। हमारे सामने हरियाणा का उदाहरण है और यह संविधान सम्मत है। हम संविधान को मानने वाले लोग हैं। जिनका इतिहास संविधान की अवहेलना करने, उसे कुचलने और चकनाचूर करने का रहा है, वे हम पर इस प्रकार के आरोप न लगाएं।’’
भाषा संजीव खारी
खारी
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